Q. Which of the following statements regarding Article 32 of the Indian Constitution are incorrect?
Select the correct answer using the codes given below:
Q. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा गलत है?
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
Explanation:
Article 32 of the Indian Constitution deals with the remedies for enforcement of fundamental rights of the citizens.
Statement 1 is incorrect: Article 32 can be invoked to determine the constitutionality of an executive order or legislation (Parliamentary law) if it directly infringes on the fundamental rights of the citizens. This cannot be done in any other case.
Statement 2 is incorrect: The Supreme Court has original and wide powers to serve as a defender and guarantor of the fundamental rights of the citizens. The Supreme Court has been given writ jurisdiction under Article 32 for the enforcement of Fundamental Rights. However, this power is concurrent with the power of the High Courts to issue writs, guaranteed under Article 226, and therefore not exclusive.
Statement 3 is correct: Writs can be issued by the Supreme Court only for the enforcement of fundamental rights under Article 32 of the Constitution of India.
व्याख्या:
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लागू करने के उपायों से संबंधित है।
कथन 1 गलत है: अनुच्छेद 32 को कार्यपालिका आदेश या कानून (संसदीय कानून) की संवैधानिकता निर्धारित करने के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है यदि यह सीधे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इसे किसी अन्य मामले में नहीं किया जा सकता है।
कथन 2 गलत है: सर्वोच्च न्यायालय के पास नागरिकों के मौलिक अधिकारों के रक्षक और गारंटीकर्त्ता के रूप में कार्य करने की मूल और व्यापक शक्तियां हैं। मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए अनुच्छेद 32 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने का अधिकार दिया गया है। हालांकि, यह शक्ति उच्च न्यायालयों की रिट जारी करने की शक्ति के साथ समवर्ती है, जो अनुच्छेद 226 के अंतर्गत गारंटीकृत है, और इसलिए अनन्य नहीं है।
कथन 3 सही है: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केवल मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट जारी किए जा सकते हैं।