The correct option is A
PSLV-XL
Explanation:
The project Aditya L-1 is approved and the satellite will be launched during 2021 timeframe by PSLV-XL from Sriharikota.
Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV) is the third generation launch vehicle of India. It can take up to 1,750 kg of payload to Sun-Synchronous Polar Orbits of 600 km altitude. PSLV-XL is the upgraded version of Polar Satellite Launch Vehicle in its standard configuration boosted by more powerful, stretched strap-on boosters with 12 tone propellant load.
Additional Information
The Aditya-1 mission is conceived as a 400kg class satellite carrying one payload, the Visible Emission Line Coronagraph (VELC) and is planned to launch in a 800 km low earth orbit. A Satellite placed in the halo orbit around the Lagrangian point 1 (L1) of the Sun-Earth system has the major advantage of continuously viewing the Sun without any occultation/ eclipses. Therefore, the Aditya-1 mission has now been revised to “Aditya-L1 mission” and will be inserted in a halo orbit around the L1, which is 1.5 million km from the Earth.
व्याख्या: प्रोजेक्ट आदित्य एल -1 को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है और श्रीहरिकोटा से PSLV-XL द्वारा 2021 में उपग्रह को प्रक्षेपित किया जाएगा।पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) भारत की तीसरी पीढ़ी का लॉन्च व्हीकल है।यह 600 किमी की ऊँचाई पर सन-सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में 1,750 किलोग्राम तक के पेलोड को ले जा सकता है।PSLV-XL 12 टन प्रोपेलेंट लोड के साथ अधिक शक्तिशाली, स्ट्रेचेड स्ट्रैप-ऑन बूस्टर द्वारा बढ़ाए गए अपने मानक कॉन्फ़िगरेशन में ध्रुवीय उपग्रह लॉन्च वाहन का उन्नत संस्करण है।
अतिरिक्त जानकारी:
आदित्य -1 मिशन की परिकल्पना 400 किलोग्राम वर्ग के उपग्रह के रूप में की गई है जिसमें एक पेलोड, विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) है और इसे 800 किलोमीटर की निम्न भू- कक्षा में लॉन्च करने की योजना है।सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रैन्जियन पॉइंट 1 (L1) के चारों ओर हेलो ऑर्बिट में उपग्रह को रखा जायेगा जिससे यह बिना किसी ग्रहण के सूर्य का लगातार अवलोकन कर सकेगा।इसलिए, आदित्य -1 मिशन को अब "आदित्य-एल 1 मिशन" के रूप में संशोधित किया गया है और इसे एल-1 के चारों ओर एक हेलो कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है।