The correct option is B
1-3-2-4
Explanation:
The correct chronology is as follows:
1. Alipore Bomb Conspiracy Case (1908): It is also called Muraripukur conspiracy or Maniktala bomb conspiracy. Revolutionaries who threw bomb on the carriage of magistrate kingsford were Prafulla Chaki and Khudiram Bose. Chaki committed suicide while Bose, then only 18 years of age, was caught and sentenced to death by hanging. The other people who were tried in the case were Aurobindo Ghosh and his brother Barin Ghosh, Kanailal Dutt, Satyendranath Bose and more than 30 others. They were all members of the Anushilan Samiti in Calcutta. Aurobindo Ghosh was acquitted due to lack of evidence and others served varying life-terms in prison.
2. Curzon Wyllie's Assassination (1909): The India House was an organisation in London involved in the freedom struggle of India mainly engaging Indian students in the UK as its participants. Patrons of this organisation included Shyamji Krishna Varma and Bhikaiji Cama. India House became the centre of revolutionary activities for Indian independence outside India. The organisation was liquidated after the assassination of an army officer Curzon Wyllie by its member Madan Lal Dhingra in 1909.
3. Delhi-Lahore Conspiracy Case (1912): It is also known as the Delhi Conspiracy Case. This was an assassination attempt on Lord Hardinge, the then Viceroy of India. The revolutionaries were led by Rashbehari Bose. A homemade bomb was thrown into the viceroy’s howdah (elephant-carriage) during a ceremonial procession in Delhi. The occasion was the transfer of the British capital from Calcutta to Delhi. Lord Hardinge was injured while an Indian attendant was killed. Bose escaped being caught whereas a few others were convicted for their roles in the conspiracy.
4. Chittagong Armoury Raid (1930): It is also known as Chittagong Uprising. This was an attempt by revolutionaries to raid the police armoury and the auxiliary forces armoury from Chittagong (now in Bangladesh). They were led by Surya Sen. Others involved were Ganesh Ghosh, Lokenath Bal, Pritilata Waddedar, Kalpana Dutta, Ambika Chakraborty, Subodh Roy, etc. The raiders were not able to locate any arms but were able to cut telephone and telegraph wires. After the raid, Sen hoisted the Indian flag at the police armoury. Many of the revolutionaries involved escaped but some were caught and tried. The government came down heavily on the revolutionaries. Many were sentenced to imprisonment, deported to the Andaman, and Surya Sen was sentenced to death by hanging. Sen was brutally tortured by the police before he was hanged.
व्याख्या:
सही कालक्रम इस प्रकार है:
1. अलीपुर बम षड्यंत्र केस (1908): इसे मुरारीपुकुर षड्यंत्र या मानिकतला बम षड्यंत्र भी कहा जाता है।मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंकने वाले क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस थे। चाकी ने आत्महत्या कर ली, जबकि बोस जो उस समय केवल 18 साल के थे, को गिरफ्तार कर फांसी दे दी गयी। इस मामले में जिन लोगों पर मुकदमा चलाया गया, उनमें अरबिंदो घोष और उनके भाई बारिन घोष, कनाईलाल दत्त, सत्येन्द्रनाथ बोस और 30 से अधिक अन्य लोग थे। वे सभी कलकत्ता की अनुशीलन समिति के सदस्य थे। अरबिंदो घोष को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया गया और अन्य लोगों को विभिन्न अवधियों के कारावास की सजा दी गई।
2. कर्जन वायली की हत्या (1909): इंडिया हाउस लंदन में एक संगठन था जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल था, यह मुख्य रूप से यूनाइटेड किंगडम में रह रहे भारतीय छात्रों को सदस्यता प्रदान करता था। इस संगठन के संरक्षक श्यामजी कृष्ण वर्मा और भिकाजी कामा थे। इंडिया हाउस भारत के बाहर भारतीय स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र बन गया था।1909 में इसके एक सदस्य मदन लाल ढींगरा द्वारा सेना के एक अधिकारी कर्जन वायली की हत्या के बाद इस संगठन को समाप्त कर दिया गया था।
3. दिल्ली-लाहौर षड्यंत्र केस (1912): इसे दिल्ली षड्यंत्र केस के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिंग पर हत्या का प्रयास था। क्रांतिकारियों का नेतृत्व राशबिहारी बोस ने किया था। दिल्ली में एक औपचारिक जुलूस के दौरान एक देसी बम, वायसराय, जो एक हाथी पर सवार थे, पर फेंका गया था। यह अवसर था कलकत्ता से दिल्ली ब्रिटिश राजधानी के स्थानांतरण का। इस घटना में लॉर्ड हार्डिंग घायल हो गए थे, जबकि उनका एक भारतीय परिचारक मारा गया था। बोस गिरफ्तारी से बचकर फरार हो गए जबकि अन्य लोगों को षड्यंत्र में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था।
4. चटगाँव शस्त्रागार छापा (1930): इसे चटगाँव विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। यह क्रांतिकारियों द्वारा चटगाँव (अब बांग्लादेश में) के पुलिस शस्त्रागार और सहायक बलों के शस्त्रागार पर छापा मारने का एक प्रयास था। इनका नेतृत्व सूर्यसेन ने किया था। अन्य लोगों में गणेश घोष, लोकनाथ बल, प्रीतिलता वाडेकर, कल्पना दत्ता, अंबिका चक्रवर्ती, सुबोध रॉय, आदि शामिल थे। इन्हें हथियार तो नहीं मिले, लेकिन उन्होंने टेलीफोन और टेलीग्राफ के तारों को काट दिया। छापेमारी के बाद, सेन ने पुलिस के शस्त्रागार पर भारतीय ध्वज फहराया। कई क्रांतिकारी जो इसमें शामिल थे बच निकले, लेकिन उनमें से कुछ को पकड़ लिया गया और उनपर मुकदमा चलाया गया। सरकार ने इनसे अत्यंत बर्बरतापुर्ण व्यवहार किया। इनमें से कई क्रांतिकारियों को कारावास की सजा सुनाई गई, एवं अंडमान निर्वासित कर दिया गया, और सूर्यसेन को फांसी की सजा सुनाई गई। फांसी देने से पहले पुलिस ने सेन को निर्दयता से प्रताड़ित किया था।