Q. With reference to Additional Tier1 (AT1) bonds recently seen in the news, consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. हाल ही में समाचारों में रहे अतिरिक्त टियर 1 (AT1) बॉन्ड के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation:
Recently State Bank of India (SBI) has raised Rs 4,000 crore by issuing Basel-III compliant debt instruments.
Statement 1 is incorrect: The AT1 instrument is perpetual in nature, however, it can be called back by the issuer after five years or any anniversary date thereafter. These are unsecured bonds which have perpetual tenure. In other words, the bonds have no maturity date. They have call options, which can be used by the banks to buy these bonds back from investors.
Statement 2 is correct: These bonds are typically used by banks to bolster their core or tier-1 capital. Banks use these bonds to augment their core equity base and thus comply with Basel III norms. These bonds were introduced by the Basel accord after the global financial crisis to protect depositors.
व्याख्या:
हाल ही में, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने बेसल-III अनुपालन ऋण लिखत (Debt Instruments) जारी करके 4,000 करोड़ रुपए जुटाए हैं।
कथन 1 गलत है: AT1 लिखत प्रकृति में स्थायी होता है, हालाँकि, इसे जारीकर्ता द्वारा पाँच साल या उसके बाद किसी भी प्रतिवार्षिक तिथि के बाद वापस लिया जा सकता है। ये असुरक्षित बॉन्ड हैं जिनकी प्रकृति स्थायी होती है। दूसरे शब्दों में, इस बॉन्ड की कोई परिपक्वता तिथि नहीं होती है। इसमें कॉल विकल्प (वापस लेने का) होता है, जिनका उपयोग बैंकों द्वारा निवेशकों से इन बॉन्ड को वापस खरीदने के लिए किया जा सकता है।
कथन 2 सही है: ये बॉन्ड आमतौर पर बैंकों द्वारा अपनी मूल या टियर-1 पूँजी को मजबूत करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। बैंक अपने मूल इक्विटी आधार को बढ़ाने के लिए इन बॉन्ड का उपयोग करते हैं और इस प्रकार बेसल III मानदंडों का अनुपालन करते हैं। इन बॉन्डों को वैश्विक वित्तीय संकट के बाद जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए बेसल समझौते द्वारा प्रारंभ किया गया था।