The State of Agriculture and Agricultural Reforms Post-Independenece
Q. With refer...
Question
Q. With reference to Land Reforms, consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भूमि सुधार के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
A
1 only
केवल 1
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B
2 only
केवल 2
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C
Both 1 and 2
1 और 2 दोनों
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D
Neither 1 nor 2
न तो 1, न ही 2
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Solution
The correct option is A
1 only
केवल 1 Explanation:
Statement 1 is correct: Land ceiling was another policy to promote equity in the agricultural sector. This means fixing the maximum size of land which could be owned by an individual. The purpose of the land ceiling was to reduce the concentration of land ownership in a few hands. The abolition of intermediaries meant that some 200 lakh tenants came into direct contact with the government — they were thus freed from being exploited by the zamindars. The ownership conferred on tenants gave them the incentive to increase output and this contributed to growth in agriculture. However, the goal of equity was not fully served by the abolition of intermediaries.
Statement 2 is incorrect: The land ceiling legislation faced hurdles. The big landlords challenged the legislation in the courts, delaying its implementation. The legislation also had a lot of loopholes that were exploited by the big landholders to retain their land. Land reforms were successful in Kerala and West Bengal because these states had governments committed to the policy of land to the tiller. Unfortunately, other states did not have the same level of commitment and vast inequality in landholding continues to this day. Thus, Land reforms were not successful in all states in India.
व्याख्या:
कथन 1 सही है: भूमि सीमा निर्धारण एक अन्य नीति थी जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में समानता को बढ़ावा देना था । इसका अर्थ है किसी व्यक्ति की कृषि भूमि के स्वामित्व की अधिकतम सीमा का निर्धारण करना। भूमि सीमा निर्धारण का उद्देश्य कुछ लोगों में भू-स्वामित्व के संकेंद्रण को कम करना था। बिचौलियों के उन्मूलन का परिणाम यह था कि लगभग 200 लाख काश्तकारों का सरकार से सीधा संपर्क हो गया, इस प्रकार वे जमींदारों द्वारा किए जा रहे शोषण से मुक्त हो गए। काश्तकारों को प्रदत्त स्वामित्व ने उन्हें उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया और इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई। हालांकि, बिचौलियों के उन्मूलन से समानता के लक्ष्य की पूर्ण प्राप्ति नहीं हो पाई।
कथन 2 गलत है: भूमि सीमा निर्धारण कानून को विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ा। बड़े जमींदारों ने कानून को न्यायालय में चुनौती दी, जिससे इसके क्रियान्वयन में देरी हुई। इस कानून में कई खामियां भी थीं जिनका फायदा उठाकर बड़े जमींदारों ने जमीन पर अपने स्वामित्व को बरकरार रखा। केरल और पश्चिम बंगाल में भूमि सुधार सफल रहा क्योंकि इन राज्यों की सरकारें वास्तविक किसान को भूमि देने की नीति के प्रति प्रतिबद्ध थीं। दुर्भाग्य से, अन्य राज्यों की सरकारों में इस स्तर की प्रतिबद्धता नहीं थी और भूमि जोत में भारी असमानता आज भी बरकरार है। इस प्रकार, भारत के सभी राज्यों में भूमि सुधार सफल नहीं रहा।