The correct option is
D
None of the above
इनमें से कोई नहीं
The Singh Sabha Movement was started at Amritsar in 1873 with a two-fold objective—(i) to make available modern western education to the Sikhs, and (ii) to counter the proselytising activities of Christian missionaries as well as the Brahmo Samajists, Arya Samajists and Muslim maulvis.
Statement 1 is correct.
The Akali movement (also known as Gurudwara Reform Movement) was an offshoot of the Singh Sabha Movement.
Statement 2 is correct.
It aimed at liberating the Sikh gurudwaras from the control of corrupt Udasi mahants (the post having become hereditary).
Statement 3 is correct.
These mahants were a loyalist and reactionary lot, enjoying government patronage. The government tried its repressive policies against the non-violent non-cooperation satyagraha launched by the Akalis in 1921, but had to bow before popular demands; it passed the Sikh Gurudwaras Act in 1922 (amended in 1925) which gave the control of gurudwaras to the Sikh masses to be administered through Shiromani Gurudwara Prabandhak Committee (SGPC) as the apex body.
Additional Information
The Akali Movement was a regional movement but not a communal one. The Akali leaders played a notable role in the national liberation struggle though some dissenting voices were heard occasionally.
सिंह सभा आंदोलन 1873 में अमृतसर में दोहरे उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था-(i) सिखों को आधुनिक पश्चिमी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए,तथा (ii) ईसाई मिशनरियों के साथ-साथ ब्रह्म समाजियों, आर्य समाजवादियों और मुस्लिम मौलवियों की धर्मान्तरण गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए।
कथन 1 सही है।
- अकाली आंदोलन (जिसे गुरुद्वारा सुधार आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है) सिंह सभा आंदोलन का एक हिस्सा था।
कथन 2 सही है।
- इसका उद्देश्य सिख गुरुद्वारों को भ्रष्ट उदासी महंतों(वंशानुगत पद) के नियंत्रण से मुक्त करना था।
कथन 3 सही है।
- ये महंत राजपक्ष समर्थक और प्रतिक्रियावादी थे जिन्हें सरकार का संरक्षण प्राप्त था।सरकार ने 1921 में अकालियों द्वारा शुरू किए गए अहिंसक असहयोग सत्याग्रह के खिलाफ दमनकारी नीतियां अपनाने की कोशिश की,लेकिन लोगों के दबाव के सामने झुकना पड़ा; 1922 में (1925 में संशोधित) सिख गुरुद्वारा अधिनियम पारित किया गया , जिसने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के माध्यम से सिख जनता को गुरुद्वारों का नियंत्रण सौंपा। SGPC गुरुद्वारों के प्रशासन के लिए सर्वोच्च निकाय है।
अतिरिक्त जानकारी:
अकाली आंदोलन एक क्षेत्रीय आंदोलन था,न कि एक सांप्रदायिक आंदोलन।अकाली नेताओं ने राष्ट्रीय मुक्ति संघर्ष में एक उल्लेखनीय भूमिका निभाई, हालांकि कुछ असंतुष्ट आवाज़ कभी-कभी सुनाई देती थी।