Q. With reference to the Constitutional Amendment Bill in Indian Parliament, consider the following statements:
Which of the statements given above is/are incorrect?
Q. भारतीय संसद में संविधान संशोधन विधेयक के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?
Explanation:
Constitutional Amendment Bill refers to the bill introduced to change the provision(s) of the original Constitution. It is the process of making changes to the nation's fundamental law or supreme law. The procedure for amendment in the Constitution is laid down in Part XX (Article 368) of the Constitution of India. It can be introduced only in the Parliament, i.e., either the Lok Sabha or the Rajya sabha.
Statement 1 is incorrect: The Constitutional Amendment Bill can be introduced by either a Minister or a Private Member.
Statement 2 is incorrect: In the Constitutional Amendment Bill, there is no provision for Joint sitting in case of disagreement between the two Houses.
Statement 3 is incorrect: The President must give assent to the Constitutional Amendment Bill; he can neither withhold nor send the bill for reconsideration.
व्याख्या:
संविधान संशोधन विधेयक मूल संविधान के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किए गए विधेयक को संदर्भित करता है। यह देश के मौलिक कानून या सर्वोच्च कानून में बदलाव करने की प्रक्रिया है। संविधान में संशोधन की प्रक्रिया भारत के संविधान के भाग XX (अनुच्छेद 368) में निर्धारित है। इसे केवल संसद, यानी लोकसभा या राज्यसभा में पेश किया जा सकता है।
कथन 1 गलत है: संविधान संशोधन विधेयक को मंत्री या गैर-सरकारी सदस्य द्वारा पेश किया जा सकता है।
कथन 2 गलत है: संविधान संशोधन विधेयक के मामले में दोनों सदनों के बीच असहमति की स्थिति में संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है।
कथन 3 गलत है: राष्ट्रपति को संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी स्वीकृति देनी चाहिए, वह विधेयक को न तो रोक सकता है और न ही पुनर्विचार के लिए भेज सकता है।