Q. With reference to the Delimitation Commission, consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. परिसीमन आयोग के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation:
Statement 1 is incorrect: It is a statutory body established through parliament act. Generally, it used to be set up after every census, but in India, such Delimitation Commissions have been constituted 4 times – in 1952 under the Delimitation Commission Act, 1952, in 1963 under Delimitation Commission Act, 1962, in 1973 under Delimitation Act, 1972 and in 2002 under Delimitation Act, 2002.
Statement 2 is incorrect: Only Parliament has the power to constitute a Delimitation Commission. The same commission will redraw the boundaries of state constituencies and parliament constituencies. The state legislature has no power to constitute a separate Delimitation commission.
Statement 3 is correct: The Delimitation Commission in India is a high power body whose orders have the force of law and cannot be called in question before any court.
Statement 4 is incorrect: The orders of the commission come into force on a date to be specified by the President of India on its behalf. The copies of its orders are laid before the House of the People and the State Legislative Assembly concerned, but no modifications are permissible therein by them.
व्याख्या:
कथन 1 गलत है: यह संसदीय अधिनियम के माध्यम से स्थापित एक वैधानिक निकाय है। आमतौर पर, हर जनगणना के बाद इसका गठन होता था, लेकिन भारत में, इस तरह के परिसीमन आयोगों का गठन 4 बार किया गया है - 1952 में परिसीमन आयोग अधिनियम, 1952 के तहत, 1963 में परिसीमन आयोग अधिनियम, 1962 के तहत, 1973 में परिसीमन अधिनियम, 1972 के तहत, और 2002 में परिसीमन अधिनियम, 2002 के तहत।
कथन 2 गलत है: केवल संसद के पास परिसीमन आयोग के गठन की शक्ति है। यही आयोग राज्य निर्वाचन क्षेत्रों और संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं का पुनःनिर्धारण करता है। राज्य विधायिका के पास पृथक परिसीमन आयोग गठित करने की कोई शक्ति नहीं है।
कथन 3 सही है: आयोग के आदेशों में कानूनी शक्ति होती है और इसे किसी भी अदालत के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती है।
कथन 4 गलत है: आयोग के आदेश भारत के राष्ट्रपति द्वारा अपनी ओर से निर्दिष्ट की जाने वाली तारीख पर लागू होते हैं। इसके आदेशों की प्रतियाँ संबंधित सदन और राज्य विधान सभा के समक्ष प्रस्तुत की जाती हैं, लेकिन इसमें कोई संशोधन नहीं किया जा सकता है।