Q. With reference to the ‘External Benchmarks lending rate’ mandated by Reserve Bank of India (RBI), consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा अनिवार्य 'बाहरी बेंचमार्क ऋण दर' (External Benchmarks lending rate) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Explanation:
As part of a structural change to make banking more robust and transparent, the Reserve Bank of India has directed banks to adopt an external benchmarking mechanism within a loan category.
Statement 1 is correct: RBI mandates banks to adopt an External benchmarking lending rate system for all floating rate loans including retail loans, and loans to MSME sectors as well.
Statement 2 is incorrect: The interest rate must be reset by the banks as per the external benchmark at least once every three months to ensure the faster transmission of policy rate cuts to the borrowers.
Statement 3 is incorrect: The external benchmark mechanism is applicable only to banks, and not while borrowing funds from Non-Banking Financial Company (NBFC).
व्याख्या:
बैंकिंग क्षेत्र को अधिक मजबूत और पारदर्शी बनाने के लिए संरचनात्मक परिवर्तन भाग के रूप में, भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऋण श्रेणी के भीतर एक बाहरी बेंचमार्किंग तंत्र को अपनाने का निर्देश दिया है।
कथन 1 सही है: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को खुदरा ऋण और एमएसएमई (MSME) क्षेत्रों को ऋण सहित सभी अस्थाई दर ऋणों के लिए बाहरी बेंचमार्क ऋण दर प्रणाली अपनाने का निर्देश दिया है।
कथन 2 गलत है: उधारकर्ताओं तक नीतिगत दरों में कटौती का तेजी से प्रसारण सुनिश्चित करने के लिए बैंकों द्वारा ब्याज दर को हर तीन महीने में कम से कम एक बार बाहरी बेंचमार्क के अनुसार पुनर्निर्धारित किया जाना चाहिए।
कथन 3 गलत है: बाहरी बेंचमार्क तंत्र केवल बैंकों पर लागू है, न कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) से धन उधार लेने पर।