Q. With reference to the history of economic planning in India, arrange the following in the chronological order from the earliest to latest:
Select the correct answer using the codes given below:
Q. भारत में आर्थिक नियोजन के इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित को कालानुक्रम (प्रारंभ से बाद के क्रम) में व्यवस्थित कीजिए:
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
Explanation: The correct chronological order is: 3-4-2-1
3. Visvesvaraya Plan (1934): Sir M.Visvesvaraya published his book “Planned Economy in India”, in which he presented a constructive draft of the development of India in 10 years. He planned to shift labour from agriculture to industries and to double the National income in 10 years.
4. Gandhian Plan (1944): This plan was put forward by Shriman Narayan Aggarwal in 1944, who was the principal of Wardha Commercial College. It emphasized cottage industries and self-contained villages.
2. People’s Plan (1945): It was drafted by M.N. Roy for a period of 10 years. The main priorities of the plan were agricultural development and an increase in agricultural production, along with maintaining an equal balance with industrialisation.
1. Sarvodaya Plan (1950): Jayprakash Narayan was inspired by the Gandhian plan as well as the Sarvodaya idea of Vinoba Bhave. It emphasized both small and medium-sized cotton industries and agriculture as well. This plan suggested freedom from foreign technology and stressed upon land reforms and decentralized participatory planning.
व्याख्या: सही कालानुक्रम है: 3-4-2-1
3. विश्वेश्वरैया योजना (1934): सर एम. विश्वेश्वरैया ने अपनी पुस्तक "प्लांड इकोनॉमी इन इंडिया" प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने 10 वर्षों में भारत के विकास का एक रचनात्मक मसौदा प्रस्तुत किया। उन्होंने श्रम को कृषि से उद्योगों में स्थानांतरित करने और 10 वर्षों में राष्ट्रीय आय को दोगुना करने की योजना बनाई।
4. गांधीवादी योजना (1944): इस योजना को श्रीमन नारायण अग्रवाल द्वारा 1944 में प्रस्तुत किया गया जो वर्धा कमर्शियल कॉलेज के प्राचार्य थे। इसमें कुटीर उद्योगों और आत्मनिर्भर गांवों पर जोर दिया गया।
2. पीपुल्स प्लान (1945): इसे एम. एन. रॉय ने 10 साल की अवधि के लिए तैयार किया था। इस योजना की मुख्य प्राथमिकताएँ कृषि विकास और कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ औद्योगीकरण के साथ एक समान संतुलन बनाए रखना था।
1. सर्वोदय योजना (1950): जयप्रकाश नारायण गांधीवादी योजना के साथ-साथ विनोबा भावे के सर्वोदय के विचार से प्रेरित थे। इसमें छोटे और मध्यम कपास उद्योगों और कृषि दोनों पर जोर दिया गया। इस योजना में विदेशी प्रौद्योगिकी से मुक्ति और भूमि सुधार तथा विकेंद्रीकृत भागीदारी योजना पर जोर दिया गया।