Q. With reference to the Indian Data Relay Satellite System (IDRSS), consider the following statements:
Which of the above given statements is/are correct?
Q. भारतीय डेटा रिले उपग्रह प्रणाली (IDRSS) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है / हैं ?
ISRO has announced that it aims to launch its own satellite pair for space communication purposes, called Indian Data Relay Satellite System (IDRSS). The two satellites will be deployed in phases. The first of the two satellites will be launched into low-Earth orbit by the end of 2020 and the second satellite will be launched in 2021, before the manned mission Gaganyaan, is embarked upon in 2022.
Statement 1 is incorrect: The two IDRSS satellites will be placed in geostationary orbit, enabling satellite to satellite communication and transfer data. The IDRSS satellites can see about 80 percent of the area where Indian remote sensing satellites are orbiting.
Statement 2 is correct: The 2,000 KG Indian Data Relay Satellite System satellites would be launched using GSLV to geostationary orbits around 36,000 km away. A satellite in geostationary orbit covers a third of the earth below and three of them can provide total coverage.
Statement 3 is incorrect: In the coming years, it will be vital to Indian Space Research Organisation (ISRO), whose roadmap is dotted with advanced LEO missions such as space docking, space station, as well as distant expeditions to the moon, Mars and Venus. It will also be useful in monitoring launches, according to ISRO. The first and foremost beneficiary of the system would be crew members of Gaganyaan mission of 2022 who can be fully and continuously in touch with Earth. It will not provide fast and secure internet connection to the Indian subcontinent.
इसरो ने घोषणा की है कि इसका लक्ष्य भारतीय संचार रिले उपग्रह प्रणाली (IDRSS) नामक अंतरिक्ष संचार उद्देश्यों के लिए अपनी खुद की उपग्रह जोड़ी लॉन्च करना है।
दोनों उपग्रहों को चरणबद्ध रूप से लांच किया जाएगा। दोनों उपग्रहों में से पहले को 2020 के अंत तक पृथ्वी की निम्न कक्षा में लॉन्च किया जाएगा और दूसरा उपग्रह, 2022 में जाने वाले मानवयुक्त मिशन गगनयान से पहले 2021 में लॉन्च किया जाएगा।
कथन 1 गलत है: दो IDRSS उपग्रहों को भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो उपग्रह को उपग्रह संचार और डेटा स्थानांतरित करने में सक्षम करेगा।
IDRSS उपग्रह उस क्षेत्र के लगभग 80 प्रतिशत भाग को देख सकते हैं जहाँ भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह परिक्रमा कर रहे हैं।
कथन 2 सही है: 2,000 किलो वजनी भारतीय डेटा रिले सैटेलाइट सिस्टम उपग्रहों को जीएसएलवी के माध्यम से 36,000 किमी दूर भूस्थैतिक कक्षाओं के लिए लॉन्च किया जाएगा।
भूस्थैतिक कक्षा में एक उपग्रह नीचे पृथ्वी के एक तिहाई को कवर करता है और इस तरह ये तीनों सम्पूर्ण कवरेज प्रदान कर सकते हैं।
कथन 3 गलत है: आने वाले वर्षों में, यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए महत्त्वपूर्ण होगा, जिसका रोडमैप उन्नत LEO मिशनों जैसे कि स्पेस डॉकिंग, स्पेस स्टेशन के साथ-साथ चंद्रमा,मंगल ,शुक्र जैसे दूर के अभियानों में भी है।
इसरो के मुताबिक, यह लॉन्चिंग की निगरानी में भी उपयोगी होगा। प्रणाली के पहले और सबसे महत्त्वपूर्ण लाभार्थी 2022 के गगनयान मिशन के चालक दल के सदस्य होंगे जो पूरी तरह से और लगातार पृथ्वी के संपर्क में रह सकते हैं। यह भारतीय उपमहाद्वीप को तेज और सुरक्षित इंटरनेट कनेक्शन प्रदान नहीं करेगा।