Q. With reference to the Money Bill, which of the following statements is/are correct?
Select the correct answer using the code given below.
Q. धन विधेयक के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है / हैं?
निम्नलिखित कूटों का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:
Explanation:
Statement 1 is correct: A money bill can only be introduced in the Lok Sabha and that too on the recommendation of the president. Every such bill is considered to be a government bill and can be introduced only by a minister.
Statement 2 is correct: When a money bill is presented to the president, he may either give his assent to the bill or withhold his assent to the bill but cannot return the bill for reconsideration of the Houses. Normally, the president gives his assent to a money bill as it is introduced in the Parliament with his prior permission.
Statement 3 is correct: After a money bill is passed by the Lok Sabha, it is transmitted to the Rajya Sabha for its consideration. The Rajya Sabha has restricted powers with regard to a money bill. It cannot reject or amend a money bill. It can only make the recommendations. It must return the bill to the Lok Sabha within 14 days, whether with or without recommendations. The Lok Sabha can either accept or reject all or any of the recommendations of the Rajya Sabha.
व्याख्या:
कथन 1 सही है: एक धन विधेयक को केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है और वह भी राष्ट्रपति की सिफारिश पर। इस तरह के हर विधेयक को सरकारी विधेयक माना जाता है और इसे केवल एक मंत्री द्वारा ही पेश किया जा सकता है।
कथन 2 सही है: जब कोई धन विधेयक राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुत किया जाता है, तो वह या तो विधेयक को अपनी सहमति दे सकता है या नहीं दे सकता है, लेकिन सदनों के पुनर्विचार के लिए विधेयक को वापस नहीं कर सकता है। आम तौर पर, राष्ट्रपति अपनी पूर्व अनुमति के साथ संसद में पेश किए गए धन विधेयक को अपनी सहमति देता है।
कथन 3 सही है: धन विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद, इसे राज्यसभा के विचारार्थ प्रेषित किया जाता है। राज्यसभा के पास धन विधेयक के संबंध में सीमित शक्तियाँ हैं। यह धन विधेयक को अस्वीकार या संशोधित नहीं कर सकती है। यह केवल सिफारिशें कर सकती है। इसे 14 दिनों के भीतर सिफारिशों के साथ या इसके बिना लोकसभा को विधेयक वापस करना होगा। लोकसभा, राज्यसभा की सभी सिफारिशों या इनमें से किसी को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।