Q. With reference to the position of the President under the Constitution of India, which of the following statements is/are correct?
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Q. भारत के संविधान में राष्ट्रपति की स्थिति के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है / हैं?
निम्नलिखित कूटों का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:
Explanation:
Statement 1 is incorrect: Under the Indian Constitution, the President occupies the same position as the King under the English Constitution. He is the head of the State but not of the Government. He represents the nation but does not rule the nation. He is the symbol of the nation.
Statement 2 is correct: The 42nd Constitutional Amendment Act of 1976 (enacted by the Indira Gandhi Government) made the President bound by the advice of the council of ministers headed by the prime minister16. The 44th Constitutional Amendment Act of 1978 (enacted by the Janata Party Government headed by Morarji Desai) authorised the President to require the council of ministers to reconsider such advice either generally or otherwise. However, he ‘shall’ act in accordance with the advice tendered after such reconsideration.
Statement 3 is incorrect: President has no constitutional discretion, he has some situational discretion. In other words, the President can act on his discretion (that is, without the advice of the ministers) under the following situations:
(i) Appointment of Prime Minister when no party has a clear majority in the Lok Sabha or when the Prime Minister in office dies suddenly and there is no obvious successor.
(ii) Dismissal of the council of ministers when it cannot prove the confidence of the Lok Sabha.
(iii) Dissolution of the Lok Sabha if the council of ministers has lost its majority.
व्याख्या:
कथन 1 गलत है: भारतीय संविधान में राष्ट्रपति की स्थिति वही है जो ब्रिटिश संविधान में राजा के पद की है। वह देश का प्रमुख है, लेकिन सरकार का नहीं। वह राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन राष्ट्र पर शासन नहीं करता है। वह राष्ट्र का प्रतीक है।
कथन 2 सही है: 1976 का 42 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम (इंदिरा गांधी सरकार द्वारा अधिनियमित) ने राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य किया। 1978 का 44 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम ( मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी सरकार द्वारा अधिनियमित) के अनुसार कैबिनेट की सलाह को पुनर्विचार हेतु एक बार लौटाने/ वापस भेजने की राष्ट्रपति को शक्तियाँ दी गई। साथ ही पुनर्विचारित सलाह को राष्ट्रपति को मानने के लिये बाध्य कर दिया गया।
कथन 3 गलत है: राष्ट्रपति के पास किसी तरह की संवैधानिक विवेकाधिकार शक्तियाँ नहीं है, उनके पास कुछ परिस्थितिजन्य विवेकाधिकार शक्तियाँ हैं। दूसरे शब्दों में, राष्ट्रपति निम्नलिखित स्थितियों में अपने विवेक (मंत्रियों की सलाह के बिना) पर कार्य कर सकते हैं:
(i) प्रधानमंत्री की नियुक्ति जब किसी भी दल के पास लोकसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं होता है या जब पदासीन प्रधानमंत्री की अचानक मृत्यु हो जाती है और कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी नहीं होता है।
(ii) लोकसभा का विश्वास साबित नहीं कर पाने की स्थिति में मंत्रिपरिषद की बर्खास्तगी।
(iii) यदि मंत्रिपरिषद ने अपना बहुमत खो दिया है तो लोकसभा को भंग करना।