Q. With reference to the poverty line in India, which one of the following statements is incorrect?
Q. भारत में गरीबी रेखा के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
Explanation:
Option (a) is correct: After the abolition of the Planning Commission of India, the NITI Aayog periodically estimates poverty lines and poverty ratios for each year. For this large Sample Surveys on Household Consumer Expenditure are conducted by the National Sample Survey Office (now National Statistics Organization) of the Ministry of Statistics and Programme Implementation. Normally these surveys are conducted every 5 years.
Option (b) is incorrect: In 2014, the government had scrapped the Rangarajan Committee report on poverty as it had pegged 100 million more poor vis-à-vis the last estimate based on the Tendulkar committee report.
Option (c) is correct: In July 2013, based on the Tendulkar poverty line, the Planning Commission released poverty data for 2011-12. The number of poor in the country was pegged at 269.8 million or 21.9% of the population. After this, no official poverty estimates in India have been released.
Option (d) is correct: Suresh Tendulkar committee has moved away from calorie intake as the criterion and considered per capita consumption expenditure on commodities and services. The Tendulkar committee steered from the calorie norm set in 1973-74—money required to access 2,100 calories in urban areas, and 2,400 calories in rural areas. It defines the new poverty line based on wider access to commodities and services like health, sanitation and education.
Extra Information:
In 2015, NITI Aayog set up a Task Force on Poverty under the then Vice-Chairman, NITI Aayog,
Prof Arvind Panagariya. The Task Force deliberated the issue of whether a Poverty Line is required. This panel backed the `Tendulkar poverty line’, which categorised people earning less than Rs. 33 a day as poor, on the ground that the line is primarily meant to be an indicator for tracking progress in combating extreme poverty.
व्याख्या:
विकल्प (a) सही है: योजना आयोग के विघटन के पश्चात नीति आयोग समय-समय पर प्रत्येक वर्ष के लिए गरीबी रेखा और गरीबी अनुपात का अनुमान लगाता है। इसके लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office) (अब राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन-National Statistics Organization) द्वारा घरेलू उपभोक्ता व्यय से संबंधित बड़े नमूनों का सर्वेक्षण किया जाता है। आम तौर पर ये सर्वेक्षण प्रत्येक 5 वर्ष में किए जाते हैं।
विकल्प (b) गलत है: 2014 में सरकार ने गरीबी आकलन हेतु गठित रंगराजन समिति की रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया था क्योंकि इसने तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट की तुलना में 100 मिलियन अधिक गरीबों का आकलन किया था।
विकल्प (c) सही है: जुलाई 2013 में तेंदुलकर द्वारा निर्धारित गरीबी रेखा के आधार पर योजना आयोग ने 2011-12 के लिए गरीबी के आँकड़े जारी किए थे। इसके अनुसार देश में गरीबों की संख्या 269.8 मिलियन अथवा कुल जनसंख्या का 21.9 प्रतिशत आंकी गयी थी। इसके पश्चात अब तक भारत में गरीबी का कोई भी आधिकारिक अनुमान जारी नहीं किया गया है।
विकल्प (d) सही है: सुरेश तेंदुलकर समिति ने कैलोरी की मात्रा को मानदंड न मानकर वस्तुओं और सेवाओं पर प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय को आधार माना। समिति ने 1973-74 में निर्धारित कैलोरी मानदंड जिसके अनुसार शहरी क्षेत्रों में 2,100 कैलोरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 2,400 कैलोरी का उपयोग करने के लिए धन की आवश्यकता थी, के आधार पर आकलन न करते हुए स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा जैसी सेवाओं तक व्यापक पहुँच के आधार पर नई गरीबी रेखा को परिभाषित किया।
अतिरिक्त जानकारी:
2015 में नीति आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष प्रो अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया। टास्क फोर्स ने इस मुद्दे पर विचार किया कि गरीबी रेखा की आवश्यकता है या नहीं। इस पैनल ने `तेंदुलकर द्वारा निर्धारित गरीबी रेखा 'का समर्थन किया, जिसने प्रतिदिन 33 रुपये से कम आय वाले लोगों को इस आधार पर गरीब घोषित किया था कि गरीबी रेखा मुख्य रूप से अत्यधिक गरीबी का मुकाबला करने में हुई प्रगति की जाँच करने हेतु एक संकेतक है।