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Question

Q. With reference to the process of ‘solution blowing’, recently in news, consider the following statements:

Which of the statements given above is/are correct?

Q. हाल ही में समाचारों में रहे ‘साॅलूशन ब्लोइंग’ की प्रक्रिया के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

A

1 and 3 only
केवल 1 और 3
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B

2 and 3 only
केवल 2 और 3
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C

2 only
केवल 2
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D

1, 2 and 3
1, 2 और 3
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Solution

The correct option is D
1, 2 and 3
1, 2 और 3
Explanation:

A solution blow technique was developed using elements of both electrospinning and melt blowing technologies as an alternative method for making non-woven webs of micro- and nanofibers with diameters comparable with those made by the electrospinning process with the advantage of having a fiber production rate (measured by the polymer injection rate) several times higher. Recently, a research team at the Indian Institute of Technology (IIT) Mandi has developed a fibrous membrane filter using a biopolymer-based material with the help of a process called Solution blowing.

Statement 1 is correct: It produces fibres that are nanometres in diameter — a hundred thousand times thinner than a single human hair. When the fibres get finer, their surface area increases tremendously, which results in better adsorption of heavy metals.

Statement 2 is correct: Apart from producing nanofibers, solution blowing processes can enable blending of natural polymers like chitosan and lignin with synthetic polymers like Nylon.
Using the solution blowing technique, the IIT Mandi team could replace 40 percent of the nylon with chitosan, which means 40 per cent less fossil-fuel-derived, polluting plastics.

Statement 3 is correct: The biopolymer-based material developed using this process helps in extraction of heavy metals from the water. The nanofiber membranes in the material enable the adsorption to happen at the sub-surface scale, which translates to higher metal removal efficiency.

व्याख्या:

इलेक्ट्रोस्पिनिंग और मेल्ट ब्लोइंग दोनों प्रौद्योगिकियों के तत्वों का उपयोग करके साॅलूशन ब्लोइंग तकनीक एलेक्ट्रोस्पिनिंग प्रक्रिया द्वारा बनाए जाने वाले माइक्रो और नैनोफाइबर के गैर-बुना जाले(non-woven webs) बनाने के लिए एक वैकल्पिक विधि के रूप में विकसित की गई थी। इसमें लाभ यह है कि फाइबर उत्पादन की दर (पॉलीमर इंजेक्शन दर द्वारा मापा गया) कई गुणा अधिक है। हाल ही में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी के एक शोध दल ने एक बायोपॉलिमर-आधारित सामग्री का उपयोग करके एक फायब्रस मेम्ब्रेन फिल्टर विकसित किया है, जिसे सॉल्यूशन ब्लोइंग कहा जाता है।

कथन 1 सही है: यह ऐसे फाइबर का उत्पादन करता है जिनके व्यास नैनोमीटर में होते हैं - एक मानव बाल की तुलना में सौ हजार गुना पतला। जब फ़ाइबर महीन हो जाते हैं, तो उनकी सतह का क्षेत्र बहुत बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वे भारी धातुओं का बेहतर अवशोषण करते हैं।

कथन 2 सही है: नैनो फाइबर के उत्पादन के अलावा, साॅलूशन ब्लोइंग’ की प्रक्रिया नायलॉन जैसे सिंथेटिक पॉलिमर के साथ प्राकृतिक पॉलिमर जैसे कि चिटोसन और लिग्निन के सम्मिश्रण को सक्षम कर सकती है।
साॅलूशन ब्लोइंग’ तकनीक का उपयोग करते हुए, IIT मंडी टीम 40 प्रतिशत नायलॉन के स्थान पर चिटोसन का उपयोग कर सकती है, जिसका अर्थ है कि 40 प्रतिशत कम जीवाश्म-ईंधन-व्युत्पन्न, प्रदूषणकारी प्लास्टिक।

कथन 3 सही है: इस प्रक्रिया का उपयोग करके विकसित बायोपॉलिमर-आधारित सामग्री भारी धातुओं को पानी से बाहर निकालने में मदद करती है। सामग्री में नैनोफाइबर झिल्ली उप-सतह के पैमाने पर अवशोषण को सक्षम बनाता है, जो धातु हटाने की उच्च क्षमता के रूप में परिणत होती है।

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