The correct option is C
2 and 3 only
केवल 2 और 3
Explanation:
Statement 1 is incorrect: The doctrine of ‘Syadvada’ belongs to Jainism. It emphasises on the relativity of all knowledge. According to this doctrine, all judgements are conditional, holding good only in certain conditions, circumstances or senses.
Statement 2 is correct: The principle of ‘Anekantavada’ is the core of Jain doctrine. It is the doctrine of ‘non-onesidedness’ or ‘manifoldness’ or ‘non-absolutism’. It states that the ultimate truth and reality is complex and has multiple aspects. It is one of the basic principles of Jainism that encourages acceptance of relativism and pluralism.
Statement 3 is correct: ‘Nibbana’ / ‘Nirvana’ is the ultimate goal of Budhha’s teachings. Literally, ‘Nibbana’ means non-attachment. It does not mean physical death; rather, it signifies dying out or extinction of desire, attachment, greed, ignorance, hatred and even the sense of ego.
व्याख्या:
कथन 1 गलत है: ‘स्यादवाद’ का सिद्धांत जैन धर्म से संबंधित है। यह सभी ज्ञान की सापेक्षता पर जोर देता है। इस सिद्धांत के अनुसार, सभी निर्णय सशर्त होते हैं, जो केवल कुछ शर्तों, परिस्थितियों या भावना में अच्छे होते हैं।
कथन 2 सही है: ‘अनेकांतवाद’ का सिद्धांत जैन सिद्धांत का मूल है। यह 'गैर-एकपक्षीय' या 'बहुविधता' या 'गैर-निरपेक्षता' का सिद्धांत’ है। यह बताता है कि परम सत्य और वास्तविकता जटिल है और इसके कई पहलू हैं। यह जैन धर्म के मूल सिद्धांतों में से एक है जो सापेक्षतावाद और बहुलवाद की स्वीकृति को प्रोत्साहित करता है।
कथन 3 सही है: ‘निब्बान’/ ‘निर्वाण’’ बुद्ध की शिक्षाओं का अंतिम लक्ष्य है। शाब्दिक रूप से, 'निब्बान ' का अर्थ अनासक्ति है। इसका मतलब शारीरिक मृत्यु नहीं है; इसके बजाय, यह इच्छा, मोह, लोभ, अज्ञान, घृणा और यहां तक कि अहंकार की भावना को खत्म करने या विलुप्त होने का प्रतीक है।