Q. With reference to the rule of Pandyas in ancient India, consider the following statements:
1. This territory was mentioned by Megasthenes in his descriptions.
2. They occupied the southern - most territory of the Indian peninsula.
3. The Ashokan inscriptions are conspicuous with absence of any mention of this kingdom.
Which of the above given statement(s) is/are correct?
Q. प्राचीन भारत में पांड्यों के शासन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. इस क्षेत्र का उल्लेख मेगस्थनीज ने अपने विवरणों में किया है।
2. उन्होंने भारतीय प्रायद्वीप के सबसे दक्षिणी क्षेत्र पर कब्जा किया।
3. अशोक के अभिलेख में इस राज्य का कोई भी उल्लेख नहीं हैं।
ऊपर दिए गए कथन में कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation:
Statement 1 is correct: Megasthenes who lived in Patliputra has mentioned about the Pandya country in his descriptions. He talks about the kingdom being celebrated for pearls. He also speaks of its being ruled by a woman, which may suggest some matriarchal influence in the Pandya society.
Statement 2 is correct : The Pandya territory occupied the southernmost and the south-eastern portion of the Indian peninsula with Madurai as its capital. It was spread in the region of the modern districts of Tirunelveli, Ramnad and Madurai in Tamil Nadu.
Statement 3 is Incorrect : The ashokan inscriptions mention the Cholas, Pandyas, Keralaputras and Satyaputras living on the borders of the empire.Of these only the Satyaputras are not clearly identified.
व्याख्या:
कथन 1 सही है: मेगस्थनीज जो पाटलिपुत्र में रहता था, ने अपने विवरण में पांड्या देश के बारे में उल्लेख किया है।वह मोती प्रसिद्ध राज्य के बारे में बताता है।वह एक महिला द्वारा शासन करने की बात भी करता है, जिससे पंड्या समाज में कुछ मातृसत्तात्मक प्रभाव का अनुमान किया जा सकता है।
कथन 2 सही है: पांड्या राज्य जिसकी राजधानी मदुरै थी, भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी और दक्षिणी-पूर्वी हिस्से पर इसका शासन था।यह तमिलनाडु के आधुनिक जिलों तिरुनेलवेली, रामनाड और मदुरै में फैला हुआ था।
कथन 3 गलत है: अशोक के अभिलेखों में साम्राज्य की सीमाओं पर रहने वाले चोलों, पांड्यों, केरलपुत्रों और सत्यपुत्रों का उल्लेख किया गया है। इनमें केवल सत्यपुत्रों की स्पष्ट रूप से पहचान नहीं हुई है।