Q. With reference to the Speaker of Lok Sabha, which of the following statements are correct?
Select the correct answer using the codes given below:
Q. लोकसभा अध्यक्ष के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं?
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
Explanation: The Speaker is the head of the Lok Sabha and its representative. He is the guardian of powers and privileges of the Members of Parliament. He is the principal spokesperson of the house. The Speaker of the Lok Sabha derives his powers and duties from three sources, that is, the Constitution of India, the Rules of Procedure and Conduct of Business of Lok Sabha and Parliamentary Conventions.
Statement 1 is incorrect: He is the final interpreter of the Constitutional provisions, the Rules of Procedure and Conduct of Business of Lok Sabha and the parliamentary precedents, within the House. Thus, his final interpretation powers related to the Constitutional provisions for any matter relating to the Parliament are restricted to within the Lok Sabha only. Outside the Lok Sabha, it is the judiciary that will deliver the final interpretation.
Statement 2 is correct: He maintains order and decorum in the House for conducting its business and regulating its proceedings. It is his primary responsibility and he has final power in this regard.
Statement 3 is correct: He appoints the chairman of all the Parliamentary Committees of the Lok Sabha and supervises their functioning. He presides over the Business Advisory Committee, the Rules Committee and the General Purpose Committee.
Perspective: Context: UPSC has been asking questions regarding various offices of the Parliament and their powers & functions. In this question, suppose even if one doesn't know the powers of the Speaker, still he/she can solve it by applying common sense and a basic understanding of the Indian Parliamentary System. The catch in question is in Statement 1. We know that the Speaker is the Presiding Officer of the Lok Sabha and his power of interpretation should be limited to it only. It is highly improbable that he/she would be the final interpreter of the Constitution in relation to the Parliament which has implications on Rajya Sabha too. Thus we can eliminate statement 1 which will leave us with option (b) as the answer. Apart from this, we also know that the Judiciary has the power of Judicial review. So, by using this logic also we can eliminate Statement 1 as the Speaker is not the sole authority to interpret Constitutional provisions related to the Parliament and his decisions can be challenged in the courts. For example, in cases related to disqualifications under the 10th Schedule, the Judiciary can intervene. Further, we have adopted a system of checks and balances and granting sole powers to the Speaker may disturb this mechanism. |
व्याख्या: अध्यक्ष लोकसभा और उसके प्रतिनिधियों का प्रमुख होता है। वह संसद सदस्यों को प्राप्त शक्तियों और विशेषाधिकारों का संरक्षक होता है। वह सदन का मुख्य प्रवक्ता होता है। लोकसभा अध्यक्ष अपनी शक्तियों और कर्तव्य तीन स्रोतों से प्राप्त करता है, जो हैं : भारत का संविधान, लोकसभा की कार्यवाही का संचालन और प्रक्रिया नियम तथा संसदीय सम्मेलन।
कथन 1 गलत है: वह सदन के भीतर संवैधानिक प्रावधानों, लोकसभा कार्यवाही के संचालन और प्रक्रिया नियम तथा संसदीय परंपराओं का अंतिम व्याख्याकार है। इस प्रकार,संसद से संबंधित किसी भी मामले के संवैधानिक प्रावधानों से संबंधित उनकी व्याख्या करने की उसकी निर्णायक शक्ति केवल लोकसभा के भीतर तक ही सीमित है। लोकसभा के बाहर, व्याख्या की अंतिम शक्ति न्यायपालिका को प्राप्त है।
कथन 2 सही है: वह सदन की कार्यवाही के संचालन और इसकी प्रक्रियाओं को विनियमित करने के लिए व्यवस्था और शिष्टाचार बनाए रखता है। यह उसकी मुख्य जिम्मेदारी है और इस संबंध में उसे निर्णायक शक्ति प्राप्त है।
कथन 3 सही है: वह लोकसभा की सभी संसदीय समितियों के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है और उनके कामकाज का पर्यवेक्षण करता है। वह कार्य सलाहकार समिति, नियम समिति और सामान्य प्रयोजन समिति की अध्यक्षता करता है।
परिप्रेक्ष्य: संदर्भ: यूपीएससी संसद के विभिन्न पदों और उनकी शक्तियों तथा कार्यों से संबंधित प्रश्न पूछती रही है। इस प्रश्न में, मान लीजिए, किसी छात्र को अध्यक्ष की शक्तियों के संबंध में जानकारी नहीं है, फिर भी वह सामान्य ज्ञान और भारतीय संसदीय प्रणाली की बुनियादी समझ का प्रयोग कर इसे हल कर सकता है। प्रश्न हल करने हेतु संकेत कथन 1 में हैं। हम जानते हैं कि अध्यक्ष लोकसभा का पीठासीन अधिकारी होता है और उसकी व्याख्या की शक्ति केवल सदन तक ही सीमित होनी चाहिए। यह असंभव है कि वह संसद जिसका राज्यसभा पर भी प्रभाव पड़ता है के संबंध में संविधान का निर्णायक व्याख्याकार होगा। इस प्रकार हम कथन 1 को छोड़ सकते हैं जिससे उत्तर के रूप में हमारे पास विकल्प (b) रह जाएगा । इसके अलावा, हम यह भी जानते हैं कि न्यायपालिका को न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्राप्त है। इसलिए, इस तर्क का भी प्रयोग कर हम कथन 1 को ख़ारिज कर सकते हैं, क्योंकि संसद से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या करने के लिए अध्यक्ष एकमात्र प्राधिकार नहीं है और उनके फैसलों को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है। उदाहरण के लिए, 10 वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से संबंधित मामलों में न्यायपालिका हस्तक्षेप कर सकती है। इसके अलावा, हमने नियंत्रण और संतुलन की एक प्रणाली अपनाई है जिसमें सभी शक्तियाँ अध्यक्ष को प्रदान करना इस प्रणाली के लिए व्यवधान उत्पन्न कर सकता है। |