Q. With reference to the ‘Supply Chain Resilience Initiative (SCRI)’, recently in the news, consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. हाल ही में चर्चा में रहे 'आपूर्ति श्रृंखला लोचशील पहल (SCRI)' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation: Recently, the Trade Ministers of India, Japan and Australia formally launched the Supply Chain Resilience initiative in a virtual Trilateral Ministerial Meeting.
Statement 1 is incorrect: It is an initiative of India, Japan and Australia (not European Union).
Statement 2 is correct: It is launched to avoid supply chain disruptions and to strengthen resilient supply chains in the Indo-Pacific region. The Ministers acknowledged that the COVID-19 pandemic was having an unprecedented impact in terms of lives lost, livelihoods and economies affected, and that the pandemic had revealed supply chain vulnerabilities globally and in the region.
Statement 3 is correct: The initial projects will include sharing of best practices on supply chain resilience, holding investment promotion events and buyer-seller matching events to provide opportunities for stakeholders to explore the possibility of diversification of their supply chains.
व्याख्या: हाल ही में, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्रियों ने एक आभासी त्रिपक्षीय मंत्रिस्तरीय बैठक में औपचारिक रूप से आपूर्ति श्रृंखला लोचशील पहल की शुरुआत की।
कथन 1 गलत है: यह भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया (यूरोपीय संघ नहीं) की एक पहल है।
कथन 2 सही है: इसे आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों से बचने और भारत-प्रशांत क्षेत्र में लचीली आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए शुरू किया गया है। मंत्रियों ने स्वीकार किया कि COVID-19 महामारी का जीवन, आजीविका और अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा था तथा महामारी ने विश्व और क्षेत्रीय स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला भेद्यता को प्रकट किया था।
कथन 3 सही है: प्रारंभिक परियोजनाओं में आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना, निवेश प्रोत्साहन कार्यक्रम आयोजित करना और खरीदार-विक्रेता मिलान कार्यक्रम शामिल होंगे ताकि हितधारकों को उनकी आपूर्ति श्रृंखला के विविधीकरण की संभावना का पता लगाने का अवसर प्रदान किए जा सके।