Q. With reference to the Supreme Court of India, which of the following statements is/are correct?
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है / हैं?
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है / हैं?
Explanation:
Statement 1 is incorrect: Opinion expressed by the Supreme Court is only advisory and not a judicial pronouncement. Hence, it is not binding on the President; he may follow or may not follow the opinion. However, it facilitates the Government to have an authoritative legal opinion on a matter to be decided by it.
Statement 2 is correct: It has the power to punish for contempt of court, either with simple imprisonment for a term up to six months or with fine up to ₹2,000 or with both. In 1991, the Supreme Court ruled that it has the power to punish for contempt not only of itself but also of High Courts, Subordinate Courts and Tribunals functioning in the entire country.
Statement 3 is correct: There is a difference between the writ jurisdiction of the Supreme Court and that of the high court. The Supreme Court can issue writs only for the enforcement of the Fundamental Rights and not for other purposes. The High Court, on the other hand, can issue writs not only for the enforcement of the fundamental rights but also for other purposes.
व्याख्या :
कथन 1 गलत है: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त की गई राय केवल सलाह है न कि न्यायिक निर्णय । इसलिए, यह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं है; वह राय का पालन कर सकता है या नहीं भी कर सकता है। हालाँकि, इससे सरकार को निर्णय लेने के मामले में एक आधिकारिक कानूनी राय रखने की सुविधा मिलती है।
कथन 2 सही है: इसमें न्यायालय की अवमानना के लिए दंडित करने की शक्ति है, इसके अंतर्गत या तो 6 महीने तक के लिए साधारण कारावास या 2,000 तक जुर्माना या फिर दोनों। 1991 में, सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि उसके पास न केवल अपनी, बल्कि उच्च न्यायालयों, अधीनस्थ न्यायालयों और ट्रिब्यूनलों की अवमानना के मामले में दंडित करने की शक्ति है।
कथन 3 सही है: रिट क्षेत्राधिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के बीच अंतर है। सर्वोच्च न्यायालय केवल मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए ही रिट जारी कर सकता है, अन्य उद्देश्यों के लिए नहीं। दूसरी ओर, उच्च न्यायालय न केवल मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन, बल्कि अन्य उद्देश्यों के लिए भी रिट जारी कर सकता है।