Q. With reference to the Treaty on Prohibition of Nuclear Weapons (TPNW), recently in the news, which of the following statements is/are correct?
Select the correct answer using the codes given below:
Q. हाल ही में चर्चित रहे नाभिकीय हथियार निषेध संधि (TPNW) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
निम्नलिखित कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चुनाव कीजिए:
Explanation:
Context: The UN Treaty on Prohibition of Nuclear Weapons (TPNW) entered into force on 22 January 2021.
Statement 1 is correct: The entry into force of the TPNW means that the treaty's provisions will be legally binding for the states that have ratified or acceded to it.
Statement 2 is correct: The Treaty obliges States parties to provide adequate assistance to individuals affected by the use or testing of nuclear weapons, as well as to take necessary and appropriate measure of environmental remediation in areas under its jurisdiction or control contaminated as a result of activities related to the testing or use of nuclear weapons.
Statement 3 is incorrect: US, Russia, China, Britain, France, India, Pakistan, North Korea and Israel (countries possessing nuclear weapons) and the NATO alliance did not support it. India believes that the treaty does not constitute or contribute to the development of customary international law, nor does it set any new standards or norms.
व्याख्या:
संदर्भ : संयुक्त राष्ट्र नाभिकीय हथियार निषेध संधि (TPNW) 22 जनवरी 2021 को अस्तित्व में आया।
कथन 1 सही है: TPNW के अस्तित्व में आने का अर्थ है कि संधि के प्रावधान उन राज्यों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी होंगे जिन्होंने इसकी पुष्टि की है या इसे स्वीकार किया है।
कथन 2 सही है: यह संधि राज्यों को परमाणु हथियारों के उपयोग या परीक्षण से प्रभावित व्यक्तियों को पर्याप्त सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य करती है,साथ ही परीक्षण से संबंधित गतिविधियों या परमाणु हथियारों के उपयोग के परिणामस्वरूप अपने अधिकार क्षेत्र या नियंत्रण में दूषित पर्यावरणीय उपचार के लिए आवश्यक और उचित उपाय करने के लिए बाध्य करती है।
कथन 3 गलत है: अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजराइल (परमाणु हथियार रखने वाले देश) और नाटो गठबंधन ने इसका समर्थन नहीं किया।भारत का मानना है कि यह संधि प्रथागत अंतरराष्ट्रीय कानून के विकास या निर्माण में योगदान नहीं करती है और न ही यह कोई नया मानक या मापदंड निर्धारित करती है।