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Question

Q. With reference to writs in the Indian constitution, consider the following statements:

Which of the above statements is/are correct?

Q. भारतीय संविधान में वर्णित याचिका (Writ) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?


A

1 and 3 only
केवल 1 और 3
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B

3 only
केवल 3
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C

1, 2 and 3 only
केवल 1, 2 और 3
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D

3 and 4 only
केवल 3 और 4
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Solution

The correct option is D
3 and 4 only
केवल 3 और 4

Statement 1 is incorrect: Certiorari means ‘to be certified’ or ‘to be informed’. It is issued by a higher court to a lower court or tribunal either to transfer a case pending with the latter to itself or to squash the order of the latter in a case.

Previously, the writ of certiorari could be issued only against judicial and quasi-judicial authorities and not against administrative authorities. However, in 1991, the Supreme Court ruled that the certiorari can be issued even against administrative authorities affecting the rights of individuals.

Statement 2 is incorrect: Quo-Warranto means ‘by what authority or warrant’. It is issued by the court to enquire into the legality of the claim of a person to a public office. Hence, it prevents illegal usurpation of public office by a person.

The writ can be issued only in case of a substantive public office of a permanent character created by a statute or by the Constitution. It cannot be issued in cases of ministerial office or private office.

Unlike the other four writs, this can be sought by any interested person and not necessarily by the aggrieved person.

Statement 3 is correct: Literally, Prohibition means ‘to forbid’. It is issued by a higher court to a lower court or tribunal to prevent the latter from exceeding its jurisdiction or usurping a jurisdiction that it does not possess. Thus, unlike mandamus that directs activity, the prohibition directs inactivity.

The writ of prohibition can be issued only against judicial and quasi-judicial authorities. It is not available against administrative authorities, legislative bodies, and private individuals or bodies.

Statement 4 is correct: Certiorari is issued on the grounds of the excess of jurisdiction or lack of jurisdiction or error of law. Thus, unlike prohibition, which is only preventive, certiorari is both preventive as well as curative.

व्याख्या:

कथन 1 गलत है: उत्प्रेषण (Certiorari) का अर्थ है 'प्रमाणित करना' अथवा 'सूचित किया जाना'। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत अथवा प्राधिकरण को या तो उनके यहाँ लंबित किसी मामले को स्वयं को स्थानांतरित करने अथवा किसी मामले से संबंधित उनके आदेश को खारिज करने के लिए जारी किया जाता है।

पूर्व में उत्प्रेषण याचिका प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध नहीं, अपितु केवल न्यायिक और अर्ध-न्यायिक अधिकारियों के विरूद्ध जारी की जा सकती थी। हालाँकि, 1991 में उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया कि इसे उन प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध भी जारी किया जा सकता है जिनसे व्यक्तियों के अधिकार प्रभावित हो रहे हों।

कथन 2 गलत है: अधिकार पृच्छा (Quo-Warranto) का अर्थ है : 'किस अधिकार द्वारा’।‘ यह किसी व्यक्ति की सार्वजनिक कार्यालय में नियुक्ति के वैधता की जाँच करने हेतु न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है। इसलिए, यह किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक कार्यालय के अनाधिकृत उपयोग को रोकता है।

यह एक क़ानून अथवा संविधान द्वारा स्थापित स्थायी प्रकृति के एक सार्वजनिक कार्यालय (public office) के मामले में ही जारी किया जा सकता है। इसे मंत्रालय अथवा निजी कार्यालय के मामलों में जारी नहीं किया जा सकता है।

अन्य चार याचिकाओं के विपरीत, इसकी माँग किसी भी इच्छुक व्यक्ति द्वारा की जा सकती है और इसके लिए उसका पीड़ित होना आवश्यक नहीं है।

कथन 3 सही है: शाब्दिक रूप से प्रतिषेध (Prohibition) का अर्थ है 'मना करना’। इसे उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत अथवा प्राधिकरण को जारी किया जाता है ताकि उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करने से अथवा उससे बाहर जाकर कार्य करने से रोका जा सके। इस प्रकार, सक्रियता को निर्देशित करने वाले परमादेश (Mandamus) के विपरीत, यह निष्क्रियता को निर्देशित करता है।

प्रतिषेध याचिका केवल न्यायिक और अर्ध-न्यायिक अधिकारियों के विरूद्ध जारी की जा सकती है। इसे प्रशासनिक अधिकारियों, विधायी निकायों, निजी व्यक्तियों अथवा निकायों के विरूद्ध जारी नहीं किया जा सकता है।

कथन 4 सही है: उत्प्रेषण (Certiorari) अधिकार क्षेत्र के दुरुपयोग, अधिकार क्षेत्र के अभाव या विधिक चूक के मामले में जारी किया जाता है। इस प्रकार, प्रतिषेध (Prohibition) के विपरीत जो केवल निवारक है, यह निवारक के साथ-साथ उपचारात्मक भी है।


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