Q. India has emerged as a favourable destination for surrogacy and its Assisted Reproductive Technology (ART) industry has evolved into a 25-billion rupee business annually, with Law Commission describing it as “a gold pot”. The phenomenal rise in surrogacy in India has been due to it being cheap, socially accepted. Moreover, surrogacy has emerged as a preferred option because of complicated adoption procedures.
Foreigners including NRIs seeking surrogacy for various reasons, both medical and personal, have also contributed to the rise of the Indian surrogacy industry predominantly because of it being at least ten times cheaper than in their respective countries. No statistics exist on the number of foreign couples coming to India to have a child. But ART clinics say that their numbers have been appreciably growing.
There is at present no law governing surrogacy in India, eventually the activity including renting a womb (commercial surrogacy) is considered legitimate. In the absence of any law the Indian Council of Medical Research (ICMR) in 2005 issued guidelines for accreditation, supervision and regulation of ART clinics in India. But the need for legislation became pressing with ICMR guidelines being often violated and reportedly rampant exploitation of surrogate mothers and even cases of extortion.
Q. According to the passage, India has emerged as a favourable destination for surrogacy because:
1. Surrogacy is way cheaper in India
2. There is no regulation governing surrogacy in India
3. Adoption procedures are complex
4. There is an Increasing demand for surrogacy, especially by foreigners
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भारत सरोगेसी के लिए एक अनुकूल गंतव्य के रूप में उभरा है, तथा इसकी असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्रोलॉजी (ए.आर.टी.) उद्योग वार्षिक रूप से 25 अरब रूपए के व्यवसाय के रूप में विकसित हुई है। विधि आयोग ने इसे एक ‘‘स्वर्ण पात्र’’ की संज्ञा दी है। भारत में सरोगेसी की परिघटना में होने वाली अविश्वसनीय वृद्धि इसके सस्ते तथा सामाजिक रूप से स्वीकृत होने के कारण हुई। इसके अतिरिक्त, जटिल दत्तक-ग्रहण प्रक्रियाओं के कारण सरोगेसी एक पसंदीदा विकल्प बन गई है।
चिकित्सकीय तथा व्यक्तिगत दोनों ही कारणों की विविधता के कारण सरोगेसी का लाभ उठाने के इच्छुक अनिवासी भारतीयों समेत विदेशी नागरिकों ने भी उनके अपने राष्ट्र की अपेक्षा यहाँ सरोगेसी के कम से कम 10 गुना सस्ती होने के कारण भारतीय सरोगेसी उद्योग की वृद्धि में योगदान किया है। बच्चे की इच्छा से भारत आने वाले विदेशी दम्पत्तियों की संख्या के विषय में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। किन्तु ए.आर.टी. क्लिनिकों के अनुसार उनकी संख्या तीव्र दर से बढ़ती रही है।
वर्तमान में भारत में सरोगेसी को नियंत्रित करने के लिए कोई कानून नहीं है। अंततः, गर्भाशय किराये पर लेने की गतिविधि (व्यावसायिक सरोगेसी) को कानून सम्मत समझा जाता है। किसी कानून के अभाव में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (आई.सी.एम.आर.) ने 2005 में भारत में ए.आर.टी. क्लिनिकों को आधिकारिक मान्यता, पर्यवेक्षण तथा उनके विनियमन के लिए कुछ दिशा-निर्देश ज़ारी किए। किन्तु आई.सी.एम.आर. के दिशा-निर्देशों के प्रायः होने वाले उल्लंघन तथा सरोगेट माताओं के बड़े पैमाने पर शोषण तथा अवैध वसूली के मामलों ने इस संबंध में एक विधान की आवश्यकता को अनिवार्य बना दिया है।
Q. परिच्छेद के अनुसार, भारत सरोगेसी के लिए एक अनुकूल गंतव्य बन कर उभरा है क्योंकिः
1. भारत में सरोगेसी बहुत सस्ती है।
2. भारत में सरोगेसी को नियंत्रित करने के लिए कोई विनियम नहीं है।
3. दत्तक-ग्रहण की प्रक्रियाएं जटिल हैं।
4. विशेषतः विदेशियों के द्वारा सरोगेसी की मांग बढ़ती जा रही है।
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