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Question

Q32. Consider the following statements regarding three-tier panchayati raj system:

1. The Panchayat Samiti is the executive body while the Zila Parishad is advisory, coordinating and supervisory body.

2. The three-tier panchayati raj system was recommended by the Ashok Mehta Committee.

3. Balwant Rai Mehta Committee had recommended that the three-tier system of panchayati raj should be replaced by the two-tier system.

Which of the above statement(s) is/are correct?

त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

1. पंचायत समिति कार्यकारी निकाय है जबकि जिला परिषद सलाहकार, समन्वयकारी और पर्यवेक्षी निकाय है।

2. अशोक मेहता समिति द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की सिफारिश की गई।

3. बलवंत राय मेहता समिति ने सिफारिश की थी कि पंचायती राज की त्रिस्तरीय प्रणाली को दो-स्तरीय प्रणाली द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए।

उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सत्य है/हैं?


A

(a) Only 1

(a) केवल 1

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B

(b) Only 1 and 2

(b) केवल 1 और 2

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C

(c) Only 3

(c) केवल 3

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D

(d) All of the above

(d) उपर्युक्त सभी

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Solution

The correct option is A

(a) Only 1

(a) केवल 1


The three-tier panchayati raj system was established on the recommendations of Balwant Rai Mehta Committee. Ashok Mehta Committee had recommended that the three-tier system of panchayati raj should be replaced by the two-tier system. Panchayat Samiti is second tier above the Gram Panchayat and under the Zilla Parishad. So it is middle or linked tier of Panchayat Raj System. This institutes plans for Taluka or Block area. The long programmes are organized by officials and non-officials of Panchayat Samiti with the help of voluntary Institution at Block level. Panchayat Samiti is the executive body while the Zila Parishad is advisory, coordinating and supervisory body.

The administrative formal body of the Panchayat Samiti constitutes by including following members:

  • Sarpanchas of all Village Panchayats coming under the jurisdiction of the Development Block.
  • Local M.L. as and M.L.Cs. with right to vote but not to hold the office.
  • One person nominated by District Collector for every Panchayat for which no Sarpanch has been elected.

बलवंत राय मेहता समिति के सिफारिशों पर तीन स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना की गई थी। अशोक मेहता समिति ने सिफारिश की थी कि पंचायती राज की त्रिस्तरीय प्रणाली को दो-स्तरीय प्रणाली द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए। पंचायत समिति, ग्राम पंचायत के ऊपर और जिला परिषद के तहत दूसरा स्तर है। अतः यह पंचायत राज प्रणाली का मध्य या कड़ी वाला स्तर है। यह तालुका या प्रखंड क्षेत्र से संबंधित योजना बनाते हैं। प्रखंड स्तर पर स्वैच्छिक संस्थान की मदद से पंचायत समिति के अधिकारियों और गैर-अधिकारियों द्वारा दीर्घ कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पंचायत समिति कार्यकारी निकाय है जबकि जिला परिषद सलाहकारी, समन्वयकारी और पर्यवेक्षी निकाय है।

पंचायत समिति का प्रशासनिक औपचारिक निकाय निम्नलिखित सदस्यों को शामिल करता है:

  • विकास खंड के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी ग्राम पंचायतों के सरपंच।
  • स्थानीय एम.एल.ए. और एमएलसी जिन्हें वोट देने का अधिकार हो लेकिन कोई कार्यालय धारित नहीं करता है।
  • वैसे प्रत्येक पंचायत जिसमें सरपंच निर्वाचित नहीं हुआ हो, के लिए जिला कलेक्टर द्वारा एक व्यक्ति को मनोनीत किया जाता है।

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Q. Q. With reference to the Committees on Panchayati Raj Institutions (PRIs), consider the following Statements:

1. Balwant Rai Mehta Committee proposed three tier Panchayati Raj system.
2. Gadgil Committee recommended direct elections for the members of Panchayats at all three levels.
3. The Ashok Mehta Committee recommended for constitutional recognition of PRIs.
4. GVK Rao Committee recommended a regular Social Audit for monitoring the utilisation of funds at local level.
Which of the above given statements is/are correct?

Q. पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) पर समितियों के संदर्भ में, निम्नलिखित विवरणों पर विचार कीजिए:

1. बलवंत राय मेहता समिति ने तीन स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का प्रस्ताव रखा।
2. गाडगिल समिति ने सभी तीन स्तरों पर पंचायतों के सदस्यों के लिए प्रत्यक्ष चुनावों की सिफारिश की।
3. अशोक मेहता समिति ने पीआरआई की संवैधानिक मान्यता की सिफारिश की।
4. जी.वी.के. राव समिति ने स्थानीय स्तर पर धन के उपयोग की निगरानी के लिए एक नियमित सामाजिक लेखा परीक्षा की सिफारिश की।

उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
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