Q37. Consider the following statements related to various Mudras in Buddhism.
1. The Abhaya mudra is made with the open palm of the right hand extending outwards at the chest level or slightly higher.
2. The greeting is expressed in a form of prayer coming from one’s heart or the third eye.
3. Varada mudra is also known as boon-granting mudra.
Which of the above statement(s) is/are correct?
Q37. बौद्ध धर्म में विभिन्न मुद्राओं से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें।
1. अभय मुद्रा दाहिने हाथ की खुली हथेली छाती के स्तर पर या थोड़ा अधिक ऊपर बाहर की ओर फैला होता है।
2. अभिवादन किसी के हृदय या तीसरी आंख से आने वाली प्रार्थना के रूप में व्यक्त किया जाता है।
3. वरद मुद्रा को वरदान देने वाले मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सत्य है/हैं?
(d) All of the above
(d) उपर्युक्त सभी
Varada mudra expresses the energy of compassion, liberation and an offering of acceptance. This mudra is made of with the left hand. This mudra is also called a boon-granting mudra, because it helps bestow a specific quality of energy one might be seeking from an enlightened being.
Abhaya is translated from Sanskrit as fearlessness. The Abhaya mudra is made with the open palm of the right hand extending outwards at the chest level or slightly higher. If you look at this Buddha hand gesture, or mudra, you will also feel the energy of protection, peace and a sense of strong, deep inner security. Namaskara or Anjali mudra is the hand gesture that evokes greeting another being with the utmost respect and adoration for the Divine in all. As you can see, the greeting is expressed in a form of prayer coming from one’s heart or the third eye. The Namaskara Mudra can be expressed with palms at the heart level or at the forehead.
वरद मुद्रा करुणा की ऊर्जा, मुक्ति और स्वीकृति की आहुति को व्यक्त करता है। यह मुद्रा बाएं हाथ से बनायी जाती है। इस मुद्रा को वरदान देने वाला मुद्रा भी कहा जाता है, क्योंकि इससे ऊर्जा की एक विशिष्ट गुणवत्ता प्रदान करने में मदद मिलती है जो एक ज्ञानी प्राणि से ग्रहण किया जाता है।
अभय का अनुवाद संस्कृत में निडरता के रूप में किया जाता है। अभय मुद्रा में दाहिने हाथ की खुली हथेली के साथ छाती के स्तर पर या थोड़े अधिक ऊंचाई पर फैलाया जाता है। यदि आप बुद्ध के इस मुद्रा को देखते हैं, तो आप सुरक्षा, शांति एवं मजबूत और गहरी आंतरिक सुरक्षा की भावना भी महसूस करते हैं। नमस्कार या अंजलि मुद्रा हाथ का इशारा है जो सभी के लिए अत्यंत सम्मान और पूजा के साथ अभिवादन करता है। जैसा कि आप देख सकते हैं, अभिवादन को किसी के हृदय या तीसरी आंख से आने वाली प्रार्थना के रूप में व्यक्त किया जाता है।