Q87. Consider the following statements about Article 35A, recently in the news:
1. It is a provision incorporated in the Constitution of Jammu and Kashmir.
2. It enables the Jammu and Kashmir legislature to decide who all are the state’s ‘permanent residents’ and confer on them special rights and privilege.
3. No act of the J&K legislature coming under Article 35A can be challenged for violating the Indian Constitution or any other law of the land.
Which of the above statement(s) is/are correct?
हाल ही में समाचार में रहे अनुच्छेद 35A के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह जम्मू-कश्मीर के संविधान में शामिल एक प्रावधान है।
2. यह जम्मू-कश्मीर विधायिका को यह तय करने में सक्षम बनाता है कि राज्य के स्थायी निवासि कौन हैं तथा उन्हें विशेष अधिकार और विशेष लाभ प्रदान करते हैं।
3. भारतीय संविधान या भारत के अन्य कानून का उल्लंघन करने वाले अनुच्छेद 35 A के तहत आने वाले जम्मू-कश्मीर विधायिका के किसी भी कार्य को चुनौती नहीं दी जा सकती है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सत्य है/हैं?
Only 2 and 3
केवल 2 और 3
Ans Only 2 and 3
It is a provision incorporated in the Constitution through a Presidential Order, and not by parliamentary debate, giving the Jammu and Kashmir State Legislature a complete say in deciding who the ‘permanent residents’ of the State are. The State Legislature can grant its permanent residents special rights and privileges in public sector jobs, acquisition of property, scholarships and other public aid and welfare programmes within the State.
The Article was incorporated into the Constitution in 1954 by an order of President Rajendra Prasad on the advice of the Jawaharlal Nehru Cabinet. The Constitution (Application to Jammu and Kashmir) Order of 1954 followed the 1952 Delhi Agreement entered into between Prime Minister Nehru and Jammu and Kashmir Prime Minister Sheikh Abdullah extending Indian citizenship to the ‘State subjects’ of Jammu and Kashmir. Article 35A was added to the Constitution as a testimony of the special consideration the Indian government accorded the ‘permanent residents’ of Jammu and Kashmir.
The Presidential Order was issued under Article 370(1)(d), which allows the President to make certain “exceptions and modifications” to the Constitution for the benefit of Jammu and Kashmir. However Article 368 of the Constitution mandates that only the Parliament can amend the Constitution by introducing a new article
यह राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से संविधान में शामिल एक प्रावधान है, न कि संसदीय बहस द्वारा, जो जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल को यह तय करने का अधिकार प्रदान करता है कि राज्य के 'स्थायी निवासि' कौन हैं। राज्य विधानमंडल अपने स्थायी निवासियों को सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों, संपत्ति के अधिग्रहण, छात्रवृत्ति और राज्य के भीतर अन्य सार्वजनिक सहायता और कल्याण कार्यक्रमों में विशेष अधिकार और लाभ प्रदान कर सकता है।
इस अनुच्छेद को जवाहरलाल नेहरू कैबिनेट की सलाह पर राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के आदेश से 1954 में संविधान में शामिल किया गया था। संविधान (जम्मू-कश्मीर हेतु लागू) 1954 के आदेश ने 1952 के दिल्ली समझौते में प्रधान मंत्री नेहरू और जम्मू-कश्मीर के प्रधान मंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच हुए जम्मू-कश्मीर में भारतीय नागरिकता का विस्तार संबंधि 1952 के समझौते का अनुसरण किया था। अनुच्छेद 35 A को संविधान में जोड़ा गया था जो कि भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के 'स्थायी निवासियों' को दिए जाने वाले विशेष महत्व का द्योतक है।
राष्ट्रपति आदेश, अनुच्छेद 370 (1) (d) के तहत जारी किया गया था, जो राष्ट्रपति को जम्मू-कश्मीर के लाभ के लिए संविधान में कुछ "अपवाद और संशोधन" करने की अनुमति देता है। हालांकि संविधान के अनुच्छेद 368 में जनादेश है कि केवल संसद ही एक नया अनुच्छेद पेश कर संविधान संशोधन कर सकती है।