Q96. Which of the following statements given below is/ are correct?
1. The concept of PIL is in consonance with the principles given in Article 39 A of the Indian Constitution
2. It can be registered as a Writ petition for violation of the Fundamental Rights by the Supreme Court (under Article 32) or by the High Court for other Rights (mentioned under Article 226)
3. PIL can be directly filed by an individual/ group of people in the Supreme Court of India
Select the correct answer using the codes below:
नीचे दिए गए निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. पीआईएल (PIL)की अवधारणा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39ए में दिए गए सिद्धांतों के अनुरूप है|
2. इसे उच्चतम न्यायलय द्वारा (अनुच्छेद 32 के तहत) या मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए और उच्च न्यायलयों द्वारा (अनुच्छेद 226 के तहत) अन्य अधिकारों के उल्लंघन के लिए रिट के रूप में दायर किया जा सकता है।
3. पीआईएल को भारत के न्यायलय में सीधे व्यक्ति / समूह के लोगों द्वारा दायर किया जा सकता है
नीचे दिए गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर का चयन करें:
All of the above
उपर्युक्त सभी
Ans. All of the above
PIL is a part of Judicial Activism started by the Supreme Court in 1980. Its main architects in the Indian Judiciary were Justice P.N. Bhagwati and Justice V.R. Krishna Iyer.
The concept of PIL is in consonance with the principles given in Article 39 A of the Indian Constitution which directs the state to provide Equal Justice and Free Legal Aid. It can be registered as a Writ petition for violation of the Fundamental Rights by the Supreme Court (under Article 32) or by the High Court for other Rights (mentioned under Article 226).
PIL can also be filed under Article 133 in the Court of Magistrate.
PIL is directly filed by an individual/ group of people in the Supreme Court of India, High Courts of India and judicial magistrate whose interests are felt to be undermined due to economic issues.
पीआईएल (PIL) 1980 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुरू की गई न्यायिक सक्रियता का एक हिस्सा है। भारतीय न्यायपालिका में इसमें मुख्य वास्तुकार न्यायमूर्ति पी एन भगवती और न्यायमूर्ति वी आर कृष्णा अय्यर थे|
पीआईएल की अवधारणा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 A में दिए गए सिद्धांतों के अनुरूप है जो राज्य को समान न्याय और नि: शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने का निर्देश देती है। इसे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32 के तहत) या अन्य अधिकारों के लिए उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226 के तहत उल्लिखित) द्वारा मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए एक रिट याचिका के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है।
मजिस्ट्रेट कोर्ट में अनुच्छेद 133 के तहत पीआईएल भी दायर किया जा सकता है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय, भारत के उच्च न्यायालयों और न्यायिक मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पीआईएल को सीधे व्यक्ति / समूह के लोगों द्वारा दायर किया जा सकता है, जिनके हितों पर प्रभाव पड़ा है।