राधा के चरित्र में बहुत-सी बातें हैं, जिन्हें अपनाने से हम अपने चरित्र को और अच्छा बना सकते हैं। तीन बातें हैं ऐसी हैं, जिन्हें हम अपना सकते हैं। वे इस प्रकार हैं-
(क) राधा को पढ़ना अच्छा लगता है इसलिए वह पढ़ती रहती है। रात में जब सब सो जाते हैं, तो वह अपनी इस इच्छा को पूरा करती है। इसके लिए वह किताबें मँगवाती है। वह मात्र पढ़ने के लिए नहीं पढ़ती है। वह जो पढ़ती है, उसमें सही-गलत का मथन करने की समझ उसमें विद्यमान है। अतः पौराणिक कथा से लेकर तिलिस्म कथा तक के पात्रों का मथन करती है।
(ख) राधा समझदार स्त्री है। वह स्थिति को संभालने के लिए तुरंत सही निर्णय लेना जानती है। दूसरों की गलती को भी छिपा लेती है। कठिनाई पड़ने पर स्वयं आगे बढ़कर आ जाती है। वह गलत कार्यों के लिए दूसरों पर इल्ज़ाम नहीं डालती। जिस बात से स्थिति संभल जाए, वह कार्य करती है।
(ग) राधा संजीदा स्वभाव की स्त्री है। बचपना उसके स्वभाव को छू भी नहीं गया है। घर में कौन क्या करता है, उसकी सब जानकारी रखती है। लेकिन वह किसी को कुछ नहीं बताती है। इससे पता चलता है कि वह संजीदा स्वभाव की स्त्री है।