जो वस्तु, चेहरा या दृश्य हमारे ह्दय और मन को आनंदित करता है, उसे हम सौंदर्य कहते हैं। एक चेहरे में व्यक्ति की आँखें, नाक, होंठ, मुस्कान इत्यादि उसके सौंदर्य का प्रतीक हैं। प्रकृति में नदी, बादल, पर्वत, हरियाली, पेड़, फूल-पत्ते इत्यादि उसके सौंदर्य का प्रतीक हैं। काव्य में अलंकार, छंद, रस, वाक्य विन्यास उसके सौंदर्य का प्रतीक हैं। एक वस्त्र में बारीक काम, कड़ाई, रंगाई उसके सौंदर्य का प्रतीक है। ऐसे ही चित्र में आकार, प्रकार, रंग, कल्पना चित्र के सौंदर्य का प्रतीक है। इन सबसे सौंदर्य जन्म लेता है। यह निर्भर करता है कि मनुष्य को कौन-सी बात आनंदित करती है। वह बस सौंदर्यशाली बन जाता है। उदाहरण के लिए रंग से काले व्यक्ति का व्यक्तित्व किसी के लिए उसका सौंदर्य है। अतः सौंदर्य की परिभाषा विशाल है। आप जितना इसमें गोते लगाएँगे, उतना उलझते जाएँगे।