शरत् की रचनाओं में उनके जीवन की अनेक घटनाएँ और पात्र सजीव हो उठे हैं। पाठ के आधार पर विवेचना कीजिए।
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Solution
शरत् की रचनाओं में जिन घटनाओं का उल्लेख हुआ है, वे सच में उनके जीवन की अनेक घटनाएँ और पात्र हैं। उन्होंने अपने जीवन में जो भोगा, जिन लोगों को पाया, जो अनुभव प्राप्त किया उसे अपनी रचनाओं में उतार डाला। ये ऐसा विवरण है, जिनसे हमें शरत् के जीवन का परिचय मिल जाता है। उसके मन तथा जीवन की थाह मिल जाती है। नीचे दी जानकारी से वह स्पष्ट हो जाएगा-
(क) शरत् ने बचपन में बाग से बहुत आम चुराकर खाए थे। यदि कभी पकड़े जाते, तो मिलने वाली सज़ा से भागे नहीं बल्कि किसी वीर के समान उसे भोगा था। उनके पात्र देवदास, श्रीकांत, दर्दांतराम और सव्यसाची शरत के जीवन की झलक देते हैं।
(ख) शरत् स्वभाव से अपरिग्रही था। उसे जो मिलता था, वह दूसरों में बाँट देता था। इस कारण शरतचंद्र की पात्र 'बड़ी बहू' बहुत परेशान थी।
(ग) साँप को वश में करने की कला को उन्होंने अपने पिता के पुस्तकालय में एक पुस्तक से सीखा था। वैसे तो यह बात सत्य नहीं थी परन्तु अपनी रचना 'श्रीकांत' तथा 'विलासी' रचना में इस विद्या के विषय में उन्होंने बताया है।
(घ) उनके पिता घर-जँवाई बनकर रहे थे। अतः 'काशीनाथ' का पात्र काशीनाथ ऐसा ही व्यक्ति था, जो घर-जँवाई बनकर रहता है।
(ङ) उनकी माता द्वारा अपने पति को काम न किए जाने पर ठेस पहुँचाना और पिता मोतीलाल का इस बात पर घर से निकल जाना। इसी घटना का वर्णन उन्होंने 'शुभदा' के हारान बाबू के रूप में किया है।
(च) शरत की मित्र धीरू थी। दोनों में बहुत गहरी मित्रता था। धीरू के चरित्र को उन्होंने 'पारो' (देवदास), 'माधवी' (बड़ी दीदी) तथा 'राजलक्ष्मी' (श्रीकांत) के रूप में चित्रण किया है।
(छ) उनकी रचना में एक विधवा स्त्री का उल्लेख मिलता है। उसके बहनोई तथा देवर की उस पर बुरी दृष्टि है। उसने एक बार बीमार शरत् की सहायता की थी। वह इन दो राक्षसों से स्वयं को बचाना चाहती थी। अतः जब ठीक होकर शरत् घर को जाने लगे, तो वह उनके पीछे चल पड़ी। उसे खोजते हुए दोनों राक्षस आ गए और शरत् को मारकर उसे बलपूर्वक अपने साथ ले गए। 'चरित्रहीन' रचना में इसी घटना का उल्लेख मिलता है।
(ज) 'शुभदा' में उन्होंने अपनी गरीबी का भयानक और मार्मिक चित्रण किया है।
इस आधार पर हम कह सकते हैं कि शरत् की रचनाओं में उनके जीवन की अनेक घटनाएँ और पात्र सजीव हो उठे हैं।