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Question

संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए
(क) अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता

(ख) गाता शुक जब किरण बसंत
छूती अंग पर्ण से छनकर

(ग) हुई न क्यों में कडी गीत की
विधना यों मन में गुनती है

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Solution

() संदर्भ प्रस्तुत पंद्याश 'रामधारी सिंह दिनकर' द्वारा रचित 'गीत-अगीत' से लिया गया है। इसमें कवि एक गुलाब के पौधे की व्यथा का वर्णन करता है

व्याख्या इन पंक्तियों में कवि यह कहना चाहते हैं कि नदी के किनारे उगा गुलाब का पौधा उसके कल-कल बहने के स्वर को समझता है कि वह अपनी बात तटों से कह रही है। अगर उसे भी स्वर मिला होता तो वह भी पतझड़ की व्यथा को सुना पाता। उसके भाव गीत न होकर अगीत ही रह जाते हैं।

() संदर्भ प्रस्तुत पंद्याश 'रामधारी सिंह दिनकर' द्वारा रचित 'गीत-अगीत' से लिया गया है। यहाँ कवि शुक तथा शुकी के प्रसंग के माध्यम से गीतों के महत्व को प्रस्तुत किया है।

व्याख्या कवि के अनुसार शुक जब डाल पर बैठकर किरण बंसती का गीत गाता है तो शुकी पर उसकी स्वर लहरी का प्रभाव पड़ता है और उसमें सिहरन होने लगती है। उसकी स्वर लहरी पत्तों से छन-छन कर शुकी के अंगों में समा जाती है। अर्थात शुक का गीत शुकी को इतना आकर्षक लगता कि वह उसी में खो जाती थी।

(ग) संदर्भ प्रस्तुत काव्यांश 'रामधारी सिंह दिनकर' द्वारा रचित 'गीत-अगीत' कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने बताया कि एक प्रेमी जब संध्या के समय गीत गाता है तो उसका प्रभाव उसकी प्रेमिका पर पड़ता है। प्रेमी-प्रेमिका के माध्यम से कवि ने गीतों के महत्व को स्पष्ट किया है।

व्याख्या जब संध्या के समय शुक गीत गाता है तो उसके गीत से मंत्रमुग्ध सी शुकी उसकी ओर खिचीं चली आती है और उसके मन में एक इच्छा जन्म लेने लगती है कि काश वह उस गीत को गा सकती वह भी उसकी कड़ी बन पाती।


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