संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) औरै भाँति कुंजन ................. छबि छ्वै गए।
(ख) तौ लौं चलित ......... बनै नहीं।
(ग) कहैं पद्माकर .............. लगत है।
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Solution
(क) प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति प्रसिद्ध कवि पद्माकर द्वारा रचित है। इसमें कवि वसंत ऋतु में बाग-बगीचों में होने वाले परिवर्तन को दर्शा रहे हैं।
व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियों में वसंत ऋतु के आने पर वातावरण की विशेषता बताई गई है। पद्माकर कहते हैं कि बाग में भवरों के समूहों की भीड़ बढ़ गई है। बागों में आम के पेड़ों पर बौरें लग गई हैं। इससे पता चलता है कि फल अब लगने ही वाले हैं। भाव यह है कि वसंत ऋतु में बाग में फूल खिलने लगते हैं, जिसके कारण भवरों की संख्या में वृद्धि हो गई है। ऐसे ही आम के वृक्षों पर बौरें लग गई हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि फल लगने वाले हैं।
(ख) प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति प्रसिद्ध कवि पद्माकर द्वारा रचित है। इसमें एक गोपी की दशा का वर्णन किया गया है। उस पर श्याम रंग चढ़ गया है और वह उसे उतारना नहीं चाहती है।
व्याख्या- पद्माकर कहते हैं कि होली खेलते समय एक गोपी पर श्याम (काला) रंग चढ़ गया है। दूसरी सखी उसे इस रंग को निचोड़कर उतारने के लिए कहती है। वह गोपी इस रंग को उतारना नहीं चाहती है। यह रंग कृष्ण के प्रेम का रंग है। वह कहती है कि यदि वह इस रंग को निचोड़ देगी, तो यह रंग निकल जाएगा। वह इस रंग में डूब जाना चाहती है। अतः वह दूसरी गोपी को मना कर देती है। भाव यह है कि जो कृष्ण से प्रेम करता है, वह उसके रंग को अपना लेता है। गोपी भी कृष्ण को प्रेम करती है। अतः कृष्ण से प्रेम करने के कारण कृष्ण का काला रंग भी उसे अच्छा लगता है।
(ग) प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति प्रसिद्ध कवि पद्माकर द्वारा रचित है। प्रस्तुत पंक्ति में पद्माकर वर्षा ऋतु की विशेषता बता रहे हैं। उनके अनुसार यह प्रेम की ऋतु है और इसमें रूठना-मनाना अच्छा लगता है।
व्याख्या- पद्माकर कहते हैं कि वर्षा ऋतु में प्रेमिका को अपना प्रियमत अच्छा लगता है। इसमें रूठे प्रेमी को मनाने में भी आनंद आता है। भाव यह है कि प्रायः जब प्रियतम रूठ जाता है, तो मनुष्य अहंकार वश मनाता नहीं है। वर्षा ऋतु में यदि प्रेमी नाराज़ हो जाए, तो उसे मनाना अच्छा लगता है। यह ऋतु का ही प्रभाव है कि नाराज़ प्रेमी को मनाकर आनंद प्राप्त किया जाता है।