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Question

The number of unpaired electrons present in Fe2+ ion is

Fe2+ आयन में उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है

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Q. Paragraph for below question
नीचे दिए गए प्रश्न के लिए अनुच्छेद

In crystal field theory, a ligand lone pair is modelled as a point negative charge that repels electrons in the d-orbitals of the central metal ion. The theory concentrates on the resultant splitting of the d-orbitals into groups with different energies, and uses that splitting to rationalize and correlate the optical spectra, magnetic properties, etc of complexes.

क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त में, लीगेण्ड के एकांकी युग्म को बिन्दु ऋणावेश के रूप में माना जाता है जो केन्द्रीय धातु आयन के d-कक्षकों में स्थित इलेक्ट्रॉनों को प्रतिकर्षित करते हैं। यह सिद्धान्त d-कक्षकों के विभिन्न ऊर्जाओं वाले समूहों में परिणामी विपाटन पर केन्द्रित होता है तथा इस विपाटन का उपयोग संकुलों के प्रकाशिक स्पेक्ट्रम, चुम्बकीय गुणों इत्यादि की तर्क सहित व्याख्या व इनमें सहसम्बन्ध स्थापित करने में किया जाता है।

Q. The number of unpaired electrons present in [Mn(H2O)6]2+ complex is

प्रश्न - [Mn(H2O)6]2+ संकुल में उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है

Q. Paragraph for below question
नीचे दिए गए प्रश्न के लिए अनुच्छेद

Many of the transition metal ions are paramagnetic. Paramagnetism arises from the presence of unpaired electrons, each such electron having a magnetic moment associated with its spin angular momentum and orbital angular momentum. For the compounds of the first series of transition metals, the contribution of the orbital angular momentum is effectively quenched and hence is of no significance. For these, the magnetic moment is determined by the number of unpaired electrons and is calculated by using the 'spin-only' formula, i.e.,

μ=n(n+2) BM

where n is the number of unpaired electrons and μ is the magnetic moment.

कई संक्रमण धातु आयन अनुचुम्बकीय होते हैं। अनुचुम्बकत्व अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण होता है, प्रत्येक ऐसे इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय आघूर्ण इसके चक्रण कोणीय संवेग तथा कक्षीय कोणीय संवेग से सम्बन्धित होता है। संक्रमण धातुओं की प्रथम संक्रमण श्रेणी के यौगिकों के लिए इसके कक्षीय कोणीय संवेग का योगदान प्रभावी रूप से शमित (अवरूद्ध) हो जाता है और इस कारण इसका कोई महत्व नहीं होता। इनके लिए, चुम्बकीय आघूर्ण का निर्धारण अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या द्वारा किया जाता है तथा इसकी गणना ‘चक्रण मात्र सूत्र’ अर्थात् μ=n(n+2) BM के उपयोग से की जाती है।

जहाँ n अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या तथा μ चुम्बकीय आघूर्ण है।

Q. Spin only magnetic moment of which of the given ions is 3.87 BM?

प्रश्न - निम्नलिखित में से किस आयन का चक्रण मात्र चुम्बकीय आघूर्ण 3.87 BM है?
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