(क) गरबीली गरीबी- इसका बहुत गहरा अर्थ है। एक गरीब आदमी अपनी गरीबी से परेशान तथा हताश रहता है। उसे गरीबी पर दुख होता है। इस कारण उसमें आत्मविश्वास की कमी रहती है। निराशा उसके चारों तरफ रहती है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके लिए गरीबी दुख का कारण नहीं होती बल्कि अभिमान का कारण होती है। कवि ऐसे ही लोगों में से एक है। उसने गरीबी को गरबीली बोलकर उसका ही नहीं बल्कि हर गरीब व्यक्ति को सम्मान देने का प्रयास किया है। एक व्यक्ति गरीब अवश्य होगा, निराशा से भरा होगा, आत्मविश्वास से विहिन हो लेकिन अपनी गरीबी से तंग आकर वह ऐसा कार्य नहीं करता, जो उसे समाज का शत्रु बना दे। अतः उनकी गरीबी उन्हें बुरे मार्ग पर नहीं ले जाती है। वह ईश्वर का नाम लेकर जीवन जीते है। उनका यह जीवन गर्व करने लायक होता है।
(ख) भीतर की सरिता- भीतर की सरिता से कविता का तात्पर्य प्रेम रूपी भावना से है। यह प्रेम हृदय के अंदर नदी के समान प्रवाहित होता है। जैसे नदी मनुष्य के जीवन का पालन-पोषण करती है, वैसे ही प्रेम की भावना मनुष्य का तथा उसके आपसी संबंधों का पालन-पोषण करती है। इसी के प्रवाह को सरिता का नाम दिया गया है। यह ऐसी पवित्र नदी के समान है, जो संबंधों तथा लोगों में जीवनदान करती है।
(ग) बहलाती सहलाती आत्मीयता- कवि की प्रेमिका के साथ आत्मीय संबंध है। वह उसके साथ आत्मीय भरा व्यवहार करती है। उसे विभिन्न प्रकार से वह बहलाती है तथा सहलाती है। प्रेमिका के आत्मीयता से भरे व्यवहार को कवि ने ऐसा कहा है। लेकिन इन पंक्तियों में कवि के इस व्यवहार के प्रति शिकायती भाव भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। कवि को हर समय प्रेमिका की बहलाने और सहलाने वाला व्यवहार पसंद नहीं आता होगा।