यह कहानी एक ऐसे दिन की है जब मूसलाधार बारिश हो रही थी। अगर मूसलाधार बारिश की बजाए बूँदा-बाँदी होती, तो क्या होता? यदि उस रात बूँदा-बाँदी होती तो
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अगर बूँदा-बाँदी होती तो बुढ़िया की झोपड़ी में पानी नहीं गिरता। दादी पोते को टिपटिपवा वाली कहानी नहीं सुनाती जिसे सुनकर बाघ भाग गया था। यदि बाघ टिपटिपवा से नहीं डरता, तो धोबी के साथ चुपचाप नहीं चला जाता। इस तरह तो कहानी का रूख ही बदल जाता।