यह मालवा (मध्यप्रदेश) की एक लोककथा है। तुम्हारे प्रांत की भाषा/बोली में भी कुछ लोककथाएँ होंगी जिसे लोग सुनते-सुनाते होंगे। उनमें से तुम अपनी पसंद की किसी लोक कथा को अपनी कॉपी में लिखो और अपने मित्रों को सुनाओ।
छात्र स्वयं अपने प्रांत की भाषा या बोली में लोककथाएँ लिखें और अपने मित्रों को सुनाएँ। इसके लिए अपनी दादा-दादी, नाना-नानी और माताजी और पिताजी की सहायता ले सकते हैं।