यूँ तो प्रायः लोग घर छोड़कर कहीं न कहीं जाते हैं, परदेश जाते हैं किंतु घर लौटते समय रूप सिंह को एक अजीब किस्म की लाज, अपनत्व और झिझक क्यों घेरने लगी?
रूप सिंह घर छोड़कर नहीं गया था बल्कि चुपचाप बिना बताए घर से चला गया था। प्रायः लोग नौकरी की तालाश में घर छोड़कर जाते हैं। वे यह कार्य सर्वसम्मति से करते हैं। रूप सिंह जब छोटा था, तो उसने अपने पिता-भाई को कुछ नहीं बताया और एक साहब के साथ चला गया। आज वह बहुत वर्षों के बाद घर को लौट रहा था। यहाँ आने पर जहाँ उसमें अपनत्व की भावना थी, वहीं उसे अपने इस कार्य के कारण शर्म आ रही थी। वह समझ नहीं पा रहा था कि वह घरवालों को क्या बोलेगा। अतः उसके मन में झिझक की भावना भी विद्यमान थी।