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Question

आलो-आँधारि रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है। किन्हों दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

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Solution

आलो-आँधारि रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याएँ थीं; जैसे बच्चों की ज़िम्मेदारी, अपने लिए काम की तलाश, अपने लिए छत की तलाश, अपने सम्मान की रक्षा, बच्चों का भविष्य इत्यादि। इनके साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दे भी इस रचना के माध्यम से दिखाई देते है; जैसे- बाल मज़दूरी, स्त्री शोषण, गरीबी।
बेबी एक ऐसी महिला थी, जो अपने पति को छोड़कर अपने बच्चों के साथ रह रही थी। उस पर तीन बच्चों की ज़िम्मेदारी थी। वह अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थी। इसकी अतिरिक्त अकेली स्त्री के रूप में स्वयं के मान-सम्मान की रक्षा करना उसके लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। दो समस्याएँ थीं, जो बेबी के लिए बहुत बड़ा प्रश्न थीं-

(क) बाल मज़दूरी तथा गरीबी- बेबी को अपने बेटे को गरीबी के कारण किसी व्यक्ति के घर में काम करने के लिए भेजना पड़ा। बॉल मज़दूरी अपराध है मगर बेबी विवश थी। आजकल बहुत से लोग होते हैं, जो बच्चों बॉल मज़दूरी करवाते हैं। यह बहुत बड़ा अपराध है। भारत एक बहुत बड़ा देश है। यहाँ की आबादी भी बहुत अधिक है। भारत में आबादी का एक बहुत बड़ा भाग गरीबी रेखा के नीचे आता है। जिन्हें नौकरी, रोटी, कपड़ा सरलता से नहीं मिल पाते, वे सब इस रेखा के अंदर आते हैं। इस तरह के हालात ऐसे लोगों में अधिकतर पाए जाते हैं, जिनका परिवार बहुत बड़ा होता है और कमाने वाले बहुत ही कम। परिणामस्वरूप हालात ऐसे बन जाते हैं कि इन परिवारों के बच्चे छोटी-छोटी उम्र में कमाने के लिए घर से बाहर जाने लगते हैं। छोटी उम्र में नौकरी करने के कारण ये बाल श्रमिक कहलाते हैं। लोग इनकी छोटी उम्र को देखते हुए इनसे काम अधिक करवाते हैं और पैसे कम देते हैं। पढ़ने की उम्र में रोटी के लालच में यह हर स्थान पर नौकरी करते देखे जाते हैं। अधिकतर गाँवों से रहने आए परिवारों, गरीब परिवारों, अशिक्षित परिवारों के बच्चे बाल श्रमिक बन जाते हैं।

(ख) अशिक्षित स्त्री अपने अधिकारों से वचिंत होती है। कोई भी उसका फ़ायदा उठा सकता है। समाज में अशिक्षित होने के कारण उसका शोषण सबसे ज्यादा होता है। यदि स्त्री शिक्षित है तो वह स्वयं को स्वाबलंबी बना लेती है, इससे वह अपने भरण पोषण के लिए किसी दूसरे पर निर्भर नहीं होती है। इस तरह व अपने ऊपर हो रहे शोषण का विरोध कर स्वयं को बचा सकती है। स्त्री का शिक्षित होना समाज, देश व उसके स्वयं के विकास के लिए अति आवश्यक है। जिस स्थान पर स्त्री शिक्षित होती है, वहाँ इतनी विषमताएँ देखने को नहीं मिलती है। हमें चाहिए की स्त्रियों को नाम का आदर व सम्मान न देकर उन्हें जीवन में सही विकास करने व जीवन स्वतंत्र रूप से जीने के अवसर प्रदान करने चाहिए। इसके लिए सबसे पहले उनकी शिक्षा का उचित प्रबंध करना चाहिए

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