भाषा की चित्रात्मकता, लोकोक्तियों और मुहावरों का जानदार उपयोग तथा हिंदी-उर्दू के साझा रूप बोलचाल की भाषा के लिहाज से यह कहानी अद्भुत है। कहानी से ऐसे उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी बताइए कि इनके प्रयोग से किस तरह कहानी का कथ्य असरदार बना है।
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Solution
चित्रात्मकता-
1. जाड़े के दिन थे और रात का समय। नमक के सिपाही तथा चौकीदार नशे में मस्त थे। मुंशी वंशीधर को यहाँ आए अभी छह महीनों से अधिक न हुए थे लेकिन इन थोड़े समय में ही उन्होंने अपनी कार्य कुशलता और उत्तम आचार से अफसरों को मोहित कर लिया था। अफसर लोग उन पर बहुत विश्वास करने लगे थे। नमक के दफ्तर से एक मील पूर्व की ओर जमुना बहती थी, उस पर नावों का एक पुल बना हुआ था। दरोगा जी किवाड़ बंद किए मीठी नींद से सो रहे थे। अचानक आँख खुली तो नदी के प्रवाह की जगह गाड़ियों की गड़गड़ाहट तथा मल्लाहों का कोलाहल सुनाई दिया।
लोकोक्तियाँ-
1. सुअवसर ने मोती दे दिया
2. पूर्णमासी का चाँद
3. कलवार और कसाई के तगादे सहें
4. दुनिया सोती थी, जीभ जागती थी
5. छत और दीवार में भेद न होना
मुहावरे-
1. जी ललचाना
2. बरकत होना
3. फूले न समाना
4. नरम पड़ना
5. हृदय में शूल उठना
6. वश में करना
7. काना-फूसी होना
8. ईमान बेचना
9. भेंट चढ़ाना
10. हलचल मचना
11. इज़्ज़त धूल में मिलना
12. पैरों तले कुचलना
13. बौछारें होना
14. पाप कटना
15. गरदन झुकाना
16. विस्मित होना
17. नशा छाना
18. होशियार रहना
19. उछल पड़ना
20. नींव हिला देना
21. बैर मोल लेना
22. सिर पिटना
23. हाथ मलना
24. मिट्टी में मिलना
25. सीधे मुँह बात न करना
26. कालिख लगना
27. मुँह छिपाना
28. चकित होना
29. खुशामद करना
30. लज्जित करना
31. मैल मिटना
32. सिर झुकाना
33. सिर-माथे रखना
34. आँखें डबडबा आई
उर्दू-हिन्दी का प्रयोग
1. अब तुम्हीं घर के मालिक-मुख्तार हो।
2. नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है।
3. निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए।
4. ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसकी बरकत होती है।
5. गरज़वाले आदमी के साथ कठोरता करने में लाभ ही लाभ है। लेकिन बेगरज़ को दाँव पर पाना ज़रा कठिन है।