'धरि- धीर दए' का आशय क्या है ?
'धरि- धीर दए' का आशय है; धीरज धारण करते हुए। अर्थात् माता सीता, श्री राम के साथ वन मार्ग में चलते हुए, कष्टों को सहते हुए मन ही मन स्वयं को धीरज बंधा रही थीं।
'गिरिधर नार नवावति' से सखी का क्या आशय है?