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Question

दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे- रवीन्द्र = रवि + इन्द्र। इस संधि में + = हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं- दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण।

ह्रस्व या दीर्घ , , के बाद ह्रस्व या दीर्घ , , , आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ , , हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे- संग्रह + आलय = संग्रहालय, महा + आत्मा = महात्मा।

इस प्रकार के कम-से-कम दस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका/शिक्षक को दिखाइए।

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Solution

(i) विद्यालय = विद्या + आलय ( + )

(ii) संग्रहालय = संग्रह + आलय ( + )

(iii) हिमालय = हिम + आलय ( + )

(iv) भोजनालय = भोजन + आलय ( + )

(v) रवीन्द्र = रवि + इंद्र ( + )

(vi) अनुमति = अनु + मति ( + )

(vii) गुरूपदेश = गुरू + उपदेश ( + )

(viii) सदा + एव = सदैव (आ+ )

(ix) सूर्य + उदय = सूर्योदय (+ )

(x) सु + इच्छा = स्वेच्छा ( + )


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Q.

नीचे दिए गए शब्दों की संरचना पर ध्यान दीजिए

विद्या + अर्थी विद्यार्थी

'विद्या' शब्द का अंतिम स्वर '' और दूसरे शब्द 'अर्थी' की प्रथम स्वर ध्वनि '' जब मिलते हैं तो वे मिलकर दीर्घ स्वर '' में बदल जाते हैं। यह स्वर संधि है जो संधि का ही एक प्रकार है।

संधि शब्द का अर्थ हैजोड़ना। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि बाद में आने वाले शब्द की पहली ध्वनि से मिलकर उसे प्रभावित करती है। ध्वनि परिवर्तन की इस प्रक्रिया को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार की होती हैस्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। जब संधि युक्त पदों को अलग-अलग किया जाता है तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं;

जैसेविद्यालय - विद्या + आलय

नीचे दिए गए शब्दों की संधि कीजिए

श्रद्धा

+

आंनद

=

............

प्रति

+

एक

=

............

पुरूष

+

उत्तम

=

............

झंडा

+

उत्सव

=

............

पुन:

+

आवृत्ति

=

............

ज्योति:

+

मय

=

............

Q.

विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के के साथ अभिभूत के के मिलने से या हो गया है। आदि वर्ण हैं। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्णों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे- क्‌+ = इत्यादि।की मात्रा के चिह्न (ा) से आप परिचित हैं। की भाँति किसी शब्द में के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे- मंडल + आकार= मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर(जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए-

संधिविग्रह

नील + आभ = ...................... सिंहासन = ..............................

नव + आगंतुक = ................... मेघाच्छन्न = ..............................

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