गूँगे की कर्कश काँय-काँय और अस्फुट ध्वनियों को सुनकर चमेली ने पहली बार क्या अनुभव किया?
गूँगे की कर्कश काँय-काँय और अस्फुट ध्वनियों को सुनकर चमेली ने पहली बार अनुभव किया कि यदि मनुष्य के गले के अंदर काकल ज़रा-सी भी ठीक न हो मनुष्य का अस्तित्व ही नहीं रहता है। उसके लिए यह यातना के समान है। वह कितना प्रयास करे, अपने दिल की बात किसी को बता नहीं पाता है।