इन वर्षों में सबसे बड़ी भूल है, 'राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम न होना' – इस संदर्भ में आप आपने विचार लिखिए।
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इस संदर्भ में हम लेखक की बात से सहमत है। राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। राजनीति अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए मनुष्य द्वारा की जाती है। यही कारण है कि राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। राजनीति ने समाज को विकास के स्थान पर मतभेद और अशांति इत्यादि ही दी है। आज जातिभेद, आरक्षण आदि बातें राजनीति की देन हैं। यदि राजनीति देश के विकास का कार्य करती, तो भारत की स्थिति ही अलग होती।