(क) हर्ष और कनक छोटे होने पर भी समुद्र की लहरों में कैसे तैर सकते थे?
(ख) हर्ष का पिता क्या काम करता था?
(ग) कनक छोटे-छोटे शंखों की मालाएँ बनाकर क्यों बेचती थी?
(घ) मंजरी को कनक क्यों नहीं भाती थी?
(ङ) मंजरी ने कनक को अपना खिलौना क्यों दे दिया?
(क) हर्ष और कनक को तैरने का कई वर्षों का अनुभव था इसलिए वे समुद्र की लहरों में तैर सकते थे। बिना अभ्यास के मनुष्य के लिए लहरों में तैर पाना संभव नहीं होता है। लेकिन किसी मनुष्य को तैरने का अभ्यास तथा अनुभव है तो वह चाहे उम्र में छोटा हो या बड़ा सरलतापूर्वक समुद्र में तैर सकता है।
(ख) हर्ष के पिता एक कलाकार थे। वह समुद्र से विभिन तरह की सीपियाँ रंग-बिरंगी कौड़ियाँ, सुंदर शंख, चित्र-विचित्र पत्थर और बहुत तरह की अन्य वस्तुएँ लाते थे। उनसे वे विभिन्न तरह के खिलौने बनाते थे।
(ग) कनक अपनी माताजी का हाथ बाँटने के लिए शंख की मालाएँ बनाकर बेचती थी। उसके पिता की मृत्यु हो चुकी थी और माताजी मछलियाँ बेचकर घर चलाती थी। मछलियाँ बेचने से उन्हें अधिक आय नहीं होती थी। कनक शंख मालाएँ बनाकर तथा उन्हें बेचकर उनकी सहायता करने का प्रयास करती थी।
(घ) कनक तैरने में कुशल थी और इसी कारण वह हर्ष के साथ समुद्र में दूर तक निकल जाती थी। मंजरी अच्छी तैराक नहीं थी। हर्ष के साथ कनक को समुद्र में तैरते देखना मंजरी को अच्छा नहीं लगता था। वह स्वयं हर्ष के साथ कनक के समान तैरना चाहती थी। इसलिए वह कनक को पसंद नहीं करती थी।
(ङ) कनक ने मंजरी की जान बचाई थी। यदि कनक नहीं होती तो आज वह भी जीवित नहीं होती। उसकी नजरों में कनक दुनिया की सबसे सुंदर और अच्छी लड़की थी इसलिए मंजरी ने कनक को अपना खिलौना दिया था। इस तरह वह कनक के प्रति अपना धन्यवाद प्रकट करना चाहती थी।