लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?
लेखिका के व्यक्तित्व पर दो व्यक्तियों का प्रभाव विशेष रूप से देखा जा सकता है। प्रथम उनके पिता तथा द्वितीय उनकी हिंदी अध्यापिका शीला अग्रवाल।
लेखिका के पिताजी के कभी अच्छे कभी बुरे व्यवहार ने उनके जीवन को बहुत हद तक प्रभावित किया। उनके पिता रंग के कारण उनकी उपेक्षा करते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि लेखिका के मन में आत्मविश्वास की कमी हो गई। भविष्य में अपनी सफलता पर लेखिका को कभी भरोसा नहीं हुआ। पिता द्वारा लोगों पर शक करने की आदत भी उनके व्यक्तित्व में स्वतः ही आ गई। आगे चलकर पिता द्वारा राजनैतिक चर्चाओं में बिठाने के कारण उनको प्रोत्साहन मिला। दसवीं कक्षा के बाद फर्स्ट इयर में उनकी मुलाकात हिंदी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल से हुई। उनके साथ हुई चर्चाओं ने लेखिका के साहित्य के ज्ञान को बढ़ाया तथा बचपन के खोए आत्मविश्वास की भावना फिर से जागृत हुई। उनका चित्त स्वतंत्रता संग्राम की ओर उन्मुख हुआ, साथ ही लेखन की दिशा में कदम बढ़े। उनके व्यक्तित्व में वीरता और आत्मविश्वास के गुणों का समावेश भी शीला अग्रवाल के कारण हुआ।