नेहरू जी ने कहा कि - "मेरे ख्याल से हम सब के मन में अपनी मातृभूमि की अलग-अलग तसवीरें हैं और कोई दो आदमी बिलकुल एक जैसा नहीं सोच सकते" अब आप बताइए कि-
(क) आपके मन में अपनी मातृभूमि की कैसी तसवीर है?
(ख) अपने साथियों से चर्चा करके पता करो कि उनकी मातृभूमि की तसवीर कैसी है और आपकी और उनकी तसवीर (मातृभूमि की छवि) में क्या समानताएँ और भिन्नताएँ हैं।
(क) मातृभूमि से तात्पर्य जहाँ एक ओर इसका भौगोलिक स्वरूप आता है वहीं दूसरी ओर इसका सामाजिक रूप भी होता है। मेरी दृष्टि से मेरी मातृभूमि सबसे अलग और सबसे गौरवशाली है। अलग से तात्पर्य 'मेरा' है। जब हम इसकी भौगोलिक स्थिति को देखें तो ये जहाँ उत्तर में पर्वत राज हिमालय को लेकर खड़ी है तो दूसरी ओर दक्षिण में अथाह समुद्र के रूप में है, पश्चिम में रेगिस्तान के रूप में विराजमान है तो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और ऋतु परिवर्तन। ये सब इसके ही रूप हैं, जो हर जगह रमणीय और रोमांचकारी है। परन्तु सिर्फ़ भौगलिक स्वरूप से ही तो मेरी मातृभूमि की छवि पूर्ण नहीं होती क्योंकि ये सिर्फ़ इसलिए 'मेरे' या 'हम सब' के मन में मातृभूमि का दर्ज़ा लिया हुए नहीं है अपितु मेरी मातृभूमि ने अनेकों सभ्यताओं और संस्कृतियों को जन्म दिया। इसी मातृभूमि ने जहाँ राजा राम और श्री कृष्ण रूप में महापुरुषों को जन्म दिया है तो ये उन महापुरूषों की भी जननी रही है जिन्होंने भारत का नाम इतिहास में अमिट अक्षरों में लिख दिया है। इसने एक संस्कृति का पोषण नहीं किया अपितु अनेकों संस्कृतियों को अपनी मातृत्व की छाया में पाल-पोस कर महान संस्कृतिय के रूप में उभारा है। इसने जहाँ गुलामी को सहा, तो वहीं स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया है। इन सभी कारणों ने इसे मातृभूमि का गौरव दिया है। मेरी मातृभूमि एक गौरवशाली मातृभूमि है।
(ख) अपने मित्रों व साथियों के साथ चर्चा के आधार पर उत्तर लिखो। हमारे साथी भी हमारे तरह सोचते हैं।