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Question

पाठ में अनेक वाक्य ऐसे हैं, जहाँ लेखक अपनी बात कहता है कुछ वाक्य ऐसे हैं जहाँ वह पाठक-वर्ग को संबोधित करता है। सीधे तौर पर पाठक को संबोधित करने वाले पाँच वाक्यों को छाँटिए और सोचिए कि ऐसे संबोधन पाठक से रचना पढ़वा लेने में मददगार होते हैं?

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Solution

(क) लेकिन ठहरिए। इस सिलसिले में एक भी महत्त्व का तत्त्व है, जिसे नहीं भूलना चहाइए।

(ख) कहीं आप भूल न कर बैठिएगा।

(ग) यह समझिएगा कि लेख के किसी भी मान्य पाठक से उस चूरन वाले को श्रेष्ठ बताने की मैं हिम्मत कर सकता हूँ।

(घ) पैसे की व्यंग्य-शक्ति की सुनिए।

(ङ) यह मुझे अपनी ऐसी विडंबना मालूम होती है कि बस पूछिए नहीं।

ऐसे संबोधन पाठकों में रोचकता बनाए रखते हैं। पाठकों को लगता है कि लेखक प्रत्यक्ष रूप में न होते हुए भी उनके साथ जुड़ा हुआ है। उन्हें लेख रोचक लगता है और वे आगे पढ़ने के लिए विवश हो जाते हैं।

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Q.

() मोहन ने केला और संतरा खाया।

() मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।

() मोहन ने क्या खाया?

() मोहन केला और संतरा खाओ।

उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं। दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है।) तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते हैं। अगले पृष्ठ पर एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो--

बताना : रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे।

नहीं/मना करना : ...........................................................

पूछना : ...........................................................

आदेश देना : ...........................................................

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