Paragraph for below question
नीचे दिए गए प्रश्न के लिए अनुच्छेद
In crystal field theory, a ligand lone pair is modelled as a point negative charge that repels electrons in the d-orbitals of the central metal ion. The theory concentrates on the resultant splitting of the d-orbitals into groups with different energies, and uses that splitting to rationalize and correlate the optical spectra, magnetic properties, etc of complexes.
क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त में, लीगेण्ड के एकांकी युग्म को बिन्दु ऋणावेश के रूप में माना जाता है जो केन्द्रीय धातु आयन के d-कक्षकों में स्थित इलेक्ट्रॉनों को प्रतिकर्षित करते हैं। यह सिद्धान्त d-कक्षकों के विभिन्न ऊर्जाओं वाले समूहों में परिणामी विपाटन पर केन्द्रित होता है तथा इस विपाटन का उपयोग संकुलों के प्रकाशिक स्पेक्ट्रम, चुम्बकीय गुणों इत्यादि की तर्क सहित व्याख्या व इनमें सहसम्बन्ध स्थापित करने में किया जाता है।
Q. In [CoF6]3– complex, the number of electrons present in t2g and eg set of d-orbitals respectively are
प्रश्न - संकुल [CoF6]3– में, d-कक्षकों के t2gतथा eg समुच्चय में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्रमशः हैं