The correct option is B
1-2-3-5-4
Explanation:
1. Breakdown of Bretton Wood System (1971): The Bretton Woods Agreement was negotiated in July 1944 by delegates from 44 countries at the United Nations Monetary and Financial Conference held in Bretton Woods, New Hampshire. Under the Bretton Woods System, gold was the basis for the U.S. dollar, and other currencies were pegged to the U.S. dollar’s value. It collapsed in 1971 when the then US President Nixon officially suspended the dollar's convertibility to gold on 15 August 1971.
2. Rupee delinking from the Pound sterling (1975): With the breakdown of the Bretton Woods system, and also the declining share of UK in India’s trade, the rupee was delinked from the pound sterling in September 1975 and was pegged to a basket of currencies till the early 1990s.
3. Dual exchange rate system (1992): To install confidence in the investors and to improve domestic competitiveness, the Liberalised Exchange Rate Management System (LERMS) was put in place in March 1992 involving the transient dual exchange rate system in the interim period. Under this system, 40 percent of exchange earnings had to be surrendered at an official rate determined by the Reserve Bank and 60 percent was to be converted at market determined rates.
5. The merger of the dual exchange rate system (1993): The dual exchange rate system was replaced by a unified exchange rate system in March 1993. The unified exchange rate system is market determined.
4. Current Account Convertibility (1994): Current Account Convertibility allows free inflows and outflows of foreign currency for all-purpose including resident Indians buying foreign goods and services (imports), Indians selling foreign goods and services (exports), Indians receiving and sending remittances, accessing foreign currency for travel, study abroad, medical tourism purpose, etc. It was finally operationalised in India in August 1994 by accepting Article VIII of the Articles of Agreement of the IMF.
Hence, Option (b) 1-2-3-5-4 is correct.
व्याख्या:
1. ब्रेटन वुड सिस्टम का पतन (1971): ब्रेटन वुड्स समझौते पर जुलाई 1944 में न्यू हैम्पशायर के ब्रेटन वुड्स में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक और वित्तीय सम्मेलन में 44 देशों के प्रतिनिधियों ने बातचीत की।
ब्रेटन वुड्स सिस्टम के तहत, अमेरिकी डॉलर के लिए आधार सोना था, और अन्य मुद्राओं को अमेरिकी डॉलर के मूल्य के साथ जोड़ा गया था। 15 अगस्त 1971 को अमरीका ने देश में बढ़ती मुद्रा स्फीति की वजह से इस प्रणाली को छोड़ दिया था, उसने इस तिथि को आधिकारिक तौर पर सोने में डॉलर की परिवर्तनीयता को निलंबित कर दिया।
2. पाउंड स्टर्लिंग (1975) से रुपये की डी लिंकिंग : ब्रेटन वुड्स प्रणाली के पतन और भारत के व्यापार में यूके की घटती सहभागिता के साथ, सितंबर 1975 में पाउंड स्टर्लिंग से रुपया डी-लिंक हुआ और 1990 के दशक की शुरुआत तक मुद्राओं की एक टोकरी में डाल दिया गया।
3. दोहरी विनिमय दर प्रणाली (1992): निवेशकों में विश्वास स्थापित करने और घरेलू प्रतिस्पर्धा में सुधार करने के लिए, मार्च 1992 में लिबरलाइज्ड एक्सचेंज रेट मैनेजमेंट सिस्टम (LERMS) लाया गया , जिसमें अंतरिम अवधि में क्षणिक दोहरी विनिमय दर प्रणाली शामिल थी। इस प्रणाली के तहत, विनिमय आय का 40 प्रतिशत रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित दर पर सरेंडर करना पड़ता था और शेष 60 प्रतिशत, बाजार निर्धारित दरों पर परिवर्तित करना होता था।
5. दोहरी विनिमय दर प्रणाली (1993) का मर्जर (विलय):
दोहरी विनिमय दर प्रणाली को मार्च 1993 में एकीकृत विनिमय दर प्रणाली द्वारा बदल दिया गया था। एकीकृत विनिमय दर प्रणाली बाजार निर्धारित प्रणाली है।
4. चालू खाता परिवर्तनीयता (1994):
चालू खाता परिवर्तनीयता, सभी प्रयोजन के लिए विदेशी मुद्रा के मुक्त अंतर्वाह और बहिर्वाह को अनुमति प्रदान करती है, इनमें शामिल हैं : विदेशी वस्तुओं और सेवाओं (आयातों) को खरीदने वाले भारतीय, विदेशी वस्तुओं और सेवाओं (निर्यात) को बेचने वाले भारतीय, प्रेषण(रेम्मिटेंस) को प्राप्त करने और भेजने वाले भारतीयों सहित यात्रा के लिए विदेशी मुद्रा तक पहुँच, विदेश में अध्ययन, चिकित्सा पर्यटन उद्देश्य, आदि ।
इसे अंततः आईएमएफ के अनुबंध के आर्टिकल VIII को स्वीकार करके अगस्त 1994 में भारत में प्रचालित किया गया था।
इसलिए, विकल्प (b) 1-2-3-5-4 सही है।