Q. Consider the following pairs:
S. No | Facts | Indian National Congress Session |
1. | Concession Of Separate Electorates | Nagpur session 1909 |
2. | Vande Mataram Was First Sung | Calcutta session 1896 |
3. | Indian National Congress adopted the resolution of ‘Poorna Swaraj’ | Karachi session 1931 |
4. | First Muslim president of INC | Madras session 1887 |
क्रम संख्या | तथ्य | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन |
1. | पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की स्वीकृति | नागपुर अधिवेशन 1909 |
2. | वंदे मातरम पहली बार गाया था | कलकत्ता अधिवेशन 1896 |
3. | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 'पूर्ण स्वराज' का संकल्प अपनाया | कराची अधिवेशन 1931 |
4. | INC के पहले मुस्लिम अध्यक्ष | मद्रास अधिवेशन 1887 |
Explanation:
Session of Indian National congress has witnessed several key incidents and events.
Pair 1 is incorrectly matched: The Lucknow Congress session of 1916 is noted for the concession given by the congress to the Muslim league in the former’s acceptance of separate electorates.
Pair 2 is correctly matched: The national song was first sung by Rabindranath Tagore by setting a heart touching glorious tone to it. The song was first sung at the Calcutta session of the Indian National Congress in 1896.
Pair 3 is incorrectly matched: The Lahore Session of the Indian National Congress in 1929 was presided over by Jawaharlal Nehru. The INC adopted the 'Poorna Swaraj' resolution in this session implying that it* would fight for complete independence from the British Rule in India.
Pair 4 is correctly matched: Badruddin Tyabji became President in 1887 INC Session - Madras.
व्याख्या:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विभिन्न सत्रों में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं.
युग्म 1 सुमेलित नहीं है: 1916 के लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन को कांग्रेस द्वारा मुस्लिम लीग को अलग निर्वाचक मंडलों की स्वीकृति देने के लिए जाना जाता है।
युग्म 2 सुमेलित है: राष्ट्रीय गीत को सबसे पहले रवींद्रनाथ टैगोर ने मधुर स्वर के साथ गाया था। यह गीत पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था ।
युग्म 3 सुमेलित नहीं है: वर्ष 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। कांग्रेस ने इस सत्र में 'पूर्ण स्वराज' प्रस्ताव को अपनाया, जिसका अर्थ था कि वे भारत में ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्वतंत्रता के लिए लड़ेंगे।
युग्म 4 सुमेलित है: बदरुद्दीन तैयबजी 1887 के मद्रास कांग्रेस अधिवेशन में अध्यक्ष बने।